चीन इन दिनों आर्थिक तौर पर संकट के दौर से गुजर रहा है। बता दें कि चीन की अर्थव्यवस्था साल 2018 में 6.6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी। करीब 3 दशक के समय में यह चीन की सबसे धीमी रफ्तार है। अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध को चीन की आर्थिक तरक्की में प्रतिरोध के तौर पर देखा जा रहा है। चीन में जारी इस आर्थिक संकट का असर अब चीन की राजनीति पर भी पड़ना शुरु हो गया है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की एक खबर के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को राजधानी बीजिंग में एक सेमीनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के अहम नेता और मंत्री शामिल हुए। इस सेमिनार में कम्यूनिस्ट पार्टी को मुसीबतों का सामना करने और इनसे उबरने के लिए बड़े प्रयास करने की बात पर जोर दिया गया।
न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, सेमिनार में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पार्टी को अपने नियमों को बनाए रखने, रिफॉर्म करने और बाहरी दबावों को झेलने के लिए मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। नेतृत्व राजनीति, विचारधारा, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और बाहरी दबाव जैसे मुद्दों का सामना कर रहा है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि कम्यूनिस्ट पार्टी जुनून में कमी, योग्यता की कमी, लोगों से दूरी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से गंभीर खतरा महसूस कर रही है। उल्लेखनीय है कि शी जिनपिंग विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 200 सदस्यों वाली सेंट्रल कमेटी की बैठक समय-समय पर बुलाते रहते हैं, लेकिन यह पहली बार है कि इस तरह की सेमिनार चुनिंदा सदस्यों के साथ ही आयोजित की गई। यहां तक कि स्थानीय मीडिया द्वारा भी इस बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
बता दें कि चीन में सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी अपनी सेंट्रल कमेटी की बैठक, जिसे प्लेनम कहा जाता है, बीते साल के अंत में आयोजित करने वाली थी। इस बैठक में आर्थिक पॉलिसीज पर चर्चा की जाती है। लेकिन अभी तक यह बैठक आयोजित नहीं की जा सकी है और अभी तक इसकी तारीखों का भी ऐलान नहीं हुआ है। गौरतलब है कि साल 1990 में चीन की आर्थिक विकास दर 3.9 प्रतिशत थी। इसके बाद चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार तेजी बनी रही, अब करीब तीन दशक बाद चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पर दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा निर्भर है। ऐसे में चीन में जारी आर्थिक मंदी का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है और वैश्विक मंदी का दौर आ सकता है।