Chief Justice of Pakistan Tenure: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सोमवार को विवादास्पद 26वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। इसमें चीफ जस्टिस के कार्यकाल को तीन साल के लिए सीमित करने का प्रावधान है। संवैधानिक पैकेज के नाम से जाने जाने वाले इस विधेयक का मकसद स्वतंत्र न्यायपालिका की शक्तियों को कम करना है।

पाकिस्तानी अखबार द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस विधेयक को दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया। अब सांसदों की बात करें तो 366 सांसदों में से 255 ने इसके पक्ष में मतदान किया है। विधेयक को पारित करने के लिए सरकार को केवल 224 वोटों की जरूरत थी।

विधेयक के पक्ष में किसने की वोटिंग

पाकिस्तान में कुछ पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया। इसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और सुन्नी-इत्तेहाद काउंसिल का नाम शामिल है। वहीं पीटीआई के समर्थन से ही अपनी सीटों पर बने रहने वाले छह स्वतंत्र सदस्यों ने विधेयक को समर्थन दिया है। बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के दो सीनेटरों, मुहम्मद कासिम और नसीमा एहसान ने भी पार्टी लाइन के खिलाफ बिल के पक्ष में ही वोटिंग की।

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इस विधेयक को कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने पेश किया था। इसे कुल 65 वोटों से पारित किया। इसमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से 23, पाकिस्तान मुस्लिम लीग से 19 और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम से पांच वोट मिले। मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट और अवामी नेशनल पार्टी ने तीन-तीन वोट, नेशनल पार्टी और पीएमएल-क्यू ने एक-एक वोट और चार स्वतंत्र सीनेटरों ने भी विधेयक के पक्ष में वोटिंग की। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब यह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस पर साइन होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

नए विधेयक का मतलब?

इस विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठतम जजों में से एक को चीफ जस्टिस को नियुक्त करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन करने समेत कई संवैधानिक संशोधन शामिल हैं। पाकिस्तान के कानून मंत्री ने कहा कि चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज, दो सीनेटर और दो नेशनल असेंबली के सदस्य नए न्यायिक आयोग का हिस्सा होंगे।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन बदलावों की वजह से सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के रिटायर होने के बाद चीफ जस्टिस खुद ही प्रमोट होने पर रोक लगा दी है। पाकिस्तानी शहबाज शरीफ ने संसद में कहा कि यह सिर्फ एक संशोधन नहीं है बल्कि आम सहमति का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि एक नया सूरज उगेगा, जो पूरे देश में चमकेगा।