बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी के दावे को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को कहा कि देश को असुरक्षित स्थान के रूप पेश करने और पाकिस्तान की भांति यहां भी विदेशी आतंकवादी हमले का मार्ग प्रशस्त करने का अभियान चल रहा है। हसीना ने अपने गणभवन निवास पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट या अलकायदा की मौजूदगी के बारे में एक दुष्प्रचार अभियान चल रहा है, ऐसा यह धारणा पैदा करने के लिए किया जा रहा है कि बांग्लादेश असुरक्षित है। ’’
उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में योजनाबद्ध तरीके से कई गैरकानूनी हमले किए गए और हत्याएं की गयीं और उनके लिए अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक संगठनों को जिम्मेदार बताया गया ताकि बांग्लादेश को असुरक्षित देश के रूप में पेश किया जा सके और पाकिस्तान की भांति उसे विदेशी (आतंकवादी) हमलों के निशाने पर लाया जा सके।
उन्होंने अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया और बीएनपी की सहयोगी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी को इन हमलों की साजिश रचने एवं दुष्प्रचार चलाने का जिम्मेदार ठहराया।
हसीना ने कहा कि हाल के हमलों के सिलसिले में जिन संदिग्धों का पता चला है उनका बीएनपी एवं जमात के साथ संबंध पाया गया। हसीना ने कहा, ‘‘क्या मैं लोगों से इस बात पर विचार करने का आह्वान कर सकती हूं कि यदि बांग्लादेश में (विदेशी) इस्लामवादियों की उपस्थिति साबित हो गयी तो क्या होगा, सीरिया में क्या हो रहा है?’’
प्रधानमंत्री ने धर्म के नाम पर हो रहे अत्याचार को लेकर इस्लामिक स्टेट और अलकायदा की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या (दुनियाभर के मुसलमान) नहीं चेतेंगे?’’
पिछले ढाई सालों में पांच लेखकों एवं ब्लॉगरों तथा एक प्रकाशक की हत्या कर दी गयी। उनमें से पांच की हत्या इस साल जनवरी से लेकर अबतक की गयी है। जिनकी हत्या की गयी है, उनके परिजनों एवं मित्रों ने पुलिस पर आरोपियों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
अपने आप को अंसार अल इस्लाम बताने वाले संगठन ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। अंसार अल इस्लाम भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) की शाखा है।
दो विदेशियों- सेसारे तावेला और 66 साल के एक जापानी कृषक की भी पिछले दो महीने में हत्या की गयी है। दोनों की हत्या की जिम्मेदारी आईएस ने ली।
प्रधानमंत्री के बयान से पहले कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने बार बार कहा कि उन्हें दोनों विदेशियों, दो पुलिसकर्मियों, एक अन्य की हत्या तथा एक शिया रैली पर हमले में आईएस और अलकायदा का कोई संबंध नहीं मिला। ये घटनाएं पिछले तीन महीने में हुईं। इन हमलों के बाद पश्चिम देशों ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश नहीं जाने की सलाह दी थी।