बीएमजे पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में दवा कंपनियों के बिना लाइसेंस प्राप्त सेल्स प्रतिनिधि कई ‘नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच’ शिविरों में लोगों का चिकित्सा परीक्षण करके भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। डेनमार्क के पत्रकार फ्रेड्रिक जोएलविंग ने पत्रिका में लिखा है कि भारत में गरीब लोगों के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लोकप्रिय हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय नागरिकों को शिविरों में आमंत्रित किया जाता है जिनमें दवा कंपनी के प्रतिनिधियों या तकनीकी जानकारों द्वारा मेडिकल जांच करना भी शामिल हो सकता है। अनुसंधानर्ताओं के पास इस बात के साक्ष्य हैं कि कई भारतीय दवा कंपनियों के बिना लाइसेंस धारक कर्मचारियों ने स्वास्थ्य शिविरों में रोगियों का निरीक्षण किया। इनमें एबॉट, बायर, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन, रोशे और सनोफी की भारतीय शाखाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
एमसीआइ के अनुसार यह तरीका अनधिकृत है और केवल पंजीकृत चिकित्सक ही जांच पड़ताल कर सकता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव केएल शर्मा ने कहा कि इसी तरह डाक्टरों के लिए किसी दवा कंपनी की ओर से निरीक्षण सेवाएं प्रदान करने के एवज में विशिष्ट उत्पादों को लेने का परामर्श देना पूरी तरह अनैतिक है। इनसे भी एमसीआइ के नियमों का उल्लंघन होता है।
जोएलविंग के अनुसार सिप्ला कंपनी ने स्वीकार किया कि उसके कर्मचारियों ने रोगियों की जांच की। रोशे के एक प्रवक्ता ने कहा कि रोशे डायबिटीज केयर इंडिया मधुमेह शिक्षण शिविरों में जांच संबंधी आपूर्ति निशुल्क करती है लेकिन मधुमेह रोगी एक लिखित सहमति पर दस्तखत करने के बाद अपनी इच्छा से शिविर में भाग लेते हैं। ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) के भारतीय प्रवक्ता रैंसम डिसूजा ने कहा, ‘हमारे बिक्री प्रतिनिधियों को भारत में रोगियों की जांच करने की इजाजत नहीं है।’
उन्होंने कहा कि जीएसके ने कभी भी डाक्टरों से इसके बदले उनके उत्पादों को खरीदने का परामर्श देने की मांग नहीं की है और कंपनी ने पिछले साल अपने प्रतिनिधियों के लिए बिक्री का व्यक्तिगत लक्ष्य समाप्त कर दिया है। हालांकि पश्चिम बंगाल से जीएसके के सेल्स प्रतिनिधि पिनाकी दत्त ने साल 2013 में जोएलविंग को बताया था कि स्वास्थ्य शिविरों में ब्लड शुगर जांच करने के लिए कंपनी की नीति में उनकी और उनके साथियों की जरूरत की बात थी।
जोएलविंग का दावा है कि एबॉट लेबोरेटरीज की भारतीय शाखाएं खासतौर पर रोगियों की जांच के लिए सक्रिय रहीं हैं। कंपनी का प्रत्येक व्यापार विभाग स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर रहा है। हालांकि मधुमेह शिविरों में जांच करने वाले एबॉट के एक प्रतिनिधि ने कहा कि इन सेवाओं का परमार्थ कार्य से कोई लेनादेना नहीं है। नाम नहीं जाहिर होने की शर्त पर प्रतिनिधि ने कहा, ‘व्यापारिक लेनदेन इसका एकमात्र उद्देश्य है।’
