ब्रिटेन की सड़कों पर एंटी इमिग्रेशन प्रोटेस्ट जारी है, लाखों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी नाराजगी की मुख्य वजह यह है कि उनके देश में प्रवासी लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। उनकी संख्या बढ़ने से नौकरी के अवसर कम हो रहे हैं, पहले से ही सीमित मौजूद संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन इस प्रदर्शन को लीड कर रहे हैं, वे लंबे समय से बढ़ते इस्लाम के प्रभाव को लेकर भी अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं।
टॉमी रॉबिन्सन और उनके जैसे एक्टिविस्ट इस बात से परेशान हैं कि ब्रिटेन की डेमोग्राफी बदल रही है। अब डेमोग्राफी सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं बदलती है, अगर किसी देश में प्रवासियों की संख्या ज्यादा हो जाएगी, इसे भी डेमोग्राफी से ही जोड़ा जाएगा। ब्रिटेन में भी इस समय दो बातों को लेकर विवाद है- पहली रही प्रवासियों की संख्या और दूसरी रही बढ़ती मुस्लिम आबादी। यहां पर समझने की कोशिश करते हैं कि ब्रिटेन में प्रवासियों की संख्या कितनी चल रही है, कौन से क्षेत्र में उनकी उपस्थिति सबसे ज्यादा है। इसके अलावा ब्रिटेन में मुस्लिमों की आबादी साल दर साल कैसे बढ़ी है-
ब्रिटेन में कितने प्रवासी हैं?
वर्ष | इंग्लैंड और वेल्स की जनसंख्या | प्रवासी | प्रतिशत (%) जनसंख्या का |
1951 | 437 करोड़ | 18.75 करोड़ | 4.3% |
1961 | 460 करोड़ | 22.9 करोड़ | 5.0% |
1971 | 487 करोड़ | 31.0 करोड़ | 6.4% |
1981 | 485 करोड़ | 32.2 करोड़ | 6.6% |
1991 | 499 करोड़ | 36.25 करोड़ | 7.3% |
2001 | 520.42 करोड़ | 46.43 करोड़ | 8.9% |
2011 | 560.76 करोड़ | 75.05 करोड़ | 13.4% |
2016 | 587-590 करोड़ | 92 करोड़ | 14% |
2021 | 595.98 करोड़ | 100.18 करोड़ | 16.8% |
ब्रिटेन में कितने भारतीय प्रवासी?
अब ऊपर दी गई टेबल से एक ट्रेंड स्पष्ट हो रहा है, पिछले 74 सालों में ब्रिटेन की डेमोग्राफी इस मामले में जरूर काफी बदली है कि यहां पर प्रवासियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। जो आंकड़ा 1951 में सिर्फ 18.75 करोड़ हुआ करता था, 2021 आते-आते वो अब 100.18 करोड़ हो चुका है। इसे ब्रिटेन की कुल जनसंख्या का 16.8 फीसदी माना जाएगा। यहां भी एक ट्रेंड कहता है कि प्रवासियों में भी भारत से ब्रिटेन आने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। नौकरी और दूसरे कारणों की वजह से बड़ी संख्या में भारत से लोग ब्रिटेन गए हैं। कुछ आंकड़ों में इस ट्रेंड को भी समझने की कोशिश करते हैं-
वर्ष | भारतीय प्रवासी | कुल आबादी में प्रतिशत (%) |
1951 | 111,000 | 0.25% |
1961 | 157,000 | 0.34% |
1971 | 313,000 | 0.64% |
1981 | – | 0.8% अनुमानित |
1991 | – | 1.0% अनुमानित |
2001 | 456,000 | 0.88% |
2011 | 694,000 | 1.24% |
2021 | 920,000 | 1.54% |
ONS का ही एक और डेटा उपलब्ध है, यह 2023 का है। इसके मुताबिक ब्रिटेन में जितने प्रवासी आए हैं, वहां पर सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की रही है। 2023 में भारत से ब्रिटेन आने वालों की संख्या 250,000 रही है, यहां भी पता चला है कि 115000 लोग तो पढ़ने के लिए ब्रिटेन आए थे, 9000 लोग दूसरे कारणों से यहां पहुंचे। वैसे भारत के बाद नाइजीरिया से सबसे ज्यादा प्रवासी ब्रिटेन पहुंचे हैं, इसके बाद चीन का नंबर आता है और फिर चौथे पायदान पर पाकिस्तान खड़ा है।
अब ऊपर दी गई जानकारी से इस पूरे विवाद की एक सिर्फ गुत्थी सुलझती है, अभी तो यह पता चला है कि ब्रिटेन में दूसरे देशों से कितने प्रवासी आए हैं, इस बात की भी जानकारी मिली है कि साल दर साल ट्रेंड कितना बदला है। यहां भी भारतीयों को लेकर भी अलग से कुछ आंकड़े दिए गए हैं। लेकिन जिस डेमोग्राफी चेंज के आरोप कुछ चिंतक लगा रहे हैं, प्रवासी फैक्टर सिर्फ एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू है ब्रिटेन में मुस्लिमों की बढ़ती आबादी, इसकी चर्चा भी काफी की जाती है।
ब्रिटेन में कितनी मुस्लिम आबादी?
आंकड़ों का अध्ययन करने वाली वेबसाइट STATISTA का रुख करने पर पता चलता है कि ब्रिटेन में मुस्लिमों की आबादी काफी बढ़ी है। ब्रिटेन में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी लंदन, ब्रिघम और मैंचेस्टर में देखने को मिलती है। इसके अलावा ब्रैडफोर्ड और ओल्डहम भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां पिछले कुछ सालों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। एक और आंकड़ा बताता है कि ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड क्षेत्र में चार सबसे बड़ी मस्जिद मौजूद हैं, वहां 8000 के करीब लोग नमाज अदा करने जाते हैं। नीचे दी गई टेबल से ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी को और स्पष्ट रूप से समझने की कोशिश करते हैं-
वर्ष | ब्रिटेन की कुल आबादी में मुस्लिम | मुस्लिमों की संख्या |
2001 | 3.0 % | 0.16 करोड़ |
2011 | 4.8 % | 0.27 करोड़ |
2021 | 6.5 % | 0.39 करोड़ |
ब्रिटेन में कहां-कहां सबसे ज्यादा मुस्लिम?
अब ऊपर दी गई टेबल से समझ आता है कि पिछले 20 सालों में ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी बढ़ी है, लेकिन ब्रिटेन में भी कुछ क्षेत्र ऐसे मौजूद हैं जहां मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा रहती है। उन्हीं क्षेत्रों की डेमोग्राफी आंकड़ों में जानते हैं, उससे पता चलेगा कि उन इलाकों में समय के साथ मुस्लिम आबादी में कितना इजाफा हुआ है।
रैंक | इलाके | 2001 (मुस्लिम संख्या) | 2011 (मुस्लिम संख्या) | 2021 (मुस्लिम संख्या) |
1 | बर्मिंघम | 1,40,033 | 2,34,411 | 3,41,811 |
2 | ब्रैडफोर्ड | 75,188 | 1,29,041 | 1,66,846 |
3 | मैनचेस्टर | 35,806 | 79,496 | 1,22,962 |
4 | न्यूहम (लंदन) | 59,293 | 98,456 | 1,22,146 |
5 | रेडब्रिज (लंदन) | 28,487 | 64,999 | 97,068 |
6 | लेस्टर | 30,885 | 61,440 | 86,443 |
7 | एन्फील्ड | 26,306 | 52,141 | 70,372 |
8 | ब्रेंट (लंदन) | 32,290 | 58,036 | 72,662 |
9 | वॉल्थम फॉरेस्ट | 32,902 | 56,541 | 73,527 |
10 | लुटन | 26,963 | 49,991 | 74,191 |
वो रिपोर्ट जिससे ब्रिटेन वाले सबसे ज्यादा डरे
अब ऊपर दिए गए आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है, लेकिन चिंता का एक कारण कई लोगों के लिए एक दूसरी रिपोर्ट भी है। प्रोफेसर मैट गुडविन (Matt Goodwin), यूनिवर्सिटी ऑफ बकिंघम की एक रिपोर्ट की चर्चा काफी ज्यादा हो रही है। उस रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में वर्तमान में तो मूल ब्रिटिश नागरिकों की संख्या 73 प्रतिशत चल रही है, लेकिन 2050 तक वो घटकर 57 फीसदी रह जाएगी, वहीं 2063 तक वो 50 फीसदी से भी कम। वहीं रिपोर्ट बताती है कि 2075 आते-आते ब्रिटेन में उन्हीं के नागरिकों की संख्या सिर्फ 44 फीसदी होगी, इसका मतलब है कि अपने ही देश में वे अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
ब्रिटेन में जो विरोध प्रदर्शन होते दिख रहे हैं, उसका आधार यह डर भी है। यानी कि प्रवासियों का ब्रिटेन में आना और मुस्लिमों की बढ़ती संख्या दो ऐसे मुद्दे हैं जिस वजह से डेमोग्राफी चेंज का खतरा सबसे ज्यादा माना जा रहा है। इसी आधार पर कहा जा रहा है कि आने वाले वक्त में ब्रिटेन के मूल निवासी ही अपने देश में अल्पसंख्यक बन सकते हैं।
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