Kabul Blast : इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने काबुल के कार्ते परवान इलाके में गुरुद्वारा के पास एक महीने पहले हमला किया था। आज गुरुद्वारे के पास एक महीने पहले हमले में फेंके गये बम में विस्फोट हुआ। इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा, “इस धमाके में सिख और हिंदू समुदायों के लोग पूरी तरह से सुरक्षित हैं।” पिछले महीने, इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) ने गुरुद्वारे पर हमला किया था। तब विदेश मंत्रालय ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी थी और कहा था, ‘हम काबुल शहर में एक पवित्र गुरुद्वारे पर हुए हमले की घटना से बहुत चिंतित हैं। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।’
वहीं इस हमले को लेकर चीन की स्थानीय समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से कहा,’हमने स्थानीय समयानुसार सुबह करीब छह बजे कार्ते परवान इलाके में विस्फोट की आवाज सुनी। पहले विस्फोट के लगभग आधे घंटे के बाद दूसरा विस्फोट हुआ। फिलहाल पूरे इलाके को सील कर दिया गया है।’
इस हमले में कई लोग मारे गए थे
एक महीने पहले हुए इस हमले में दर्जनों सिखों और तालिबान सदस्यों के मारे जाने का दावा किया गया था। अफगानिस्तान में सिख समुदाय सहित धार्मिक अल्पसंख्यक हिंसा का शिकार बनाए जा रहे हैं। अगस्त 2021 में सत्ता में आए तालिबान ने देश को सुरक्षित करने का दावा किया है। लेकिन बार-बार होने वाले आतंकी हमले न सिर्फ तालिबान के दावों का खंडन करते हैं बल्कि आतंकवाद के फिर से पनपने के अनुमानित खतरे को लेकर पूरे विश्व को चिंतित कर रहा है।
ऐसे हमलों से शुरू हो सकती है आतंकवाद की नई लहर
पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस तरह के हमलों से देश में आतंकवाद की एक नई लहर शुरू हो सकती है और छोटे समूहों को अंदरूनी तौर पर मौन समर्थन प्राप्त होगा। पिछले साल तालिबान के अधिग्रहण से पहले अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संख्या केवल लगभग 600 थी। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि संख्या में नाटकीय रूप से भारी कमी आई है।
अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले
अब जो बचे हुए अल्पसंख्यक हैं वे मुख्य रूप से सुन्नी कट्टरपंथी समूहों द्वारा लक्षित हमलों के शिकार बन रहे हैं। लक्षित हमलों ने सिखों और हिंदुओं को देश से बाहर कर दिया है। विशेष रूप से आर्थिक और सामाजिक संसाधनों वाले लोगों को स्थानांतरित करने के लिए। सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं।