रूस और यूक्रेन के बीच तनाव जारी है और यूक्रेन की सेना रूस द्वारा किसी भी हमले के लिए तैयार है। वहीं इस पूरे विवाद के बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है। स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “पुतिन के नेतृत्व वाली रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर आसन्न आक्रमण हास्यास्पद है। पहले यूक्रेन कम्युनिस्ट रूस द्वारा स्थापित सरकारी परिषद (जिसे सोवियत कहा जाता था) का एक हिस्सा था, जब स्टालिन तानाशाह थे। तानाशाह के रूप में गोर्बाचेव के कार्यकाल के दौरान सोवियत संघ का पर्दाफाश हुआ और यूक्रेन स्वतंत्र हो गया।”
अमेरिकी राष्ट्रपति की रूस को चेतावनी: वहीं रूस-यूक्रेन विवाद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार सुबह रूस को चेतावनी देते हुए ट्वीट किया कि, “अमेरिका की जनता एकजुट है, पूरा यूरोप एकजुट है, संपूर्ण विश्व एक है। रूस के पास विकल्प है- युद्ध जिससे लोगों को पीड़ा होगी या फिर कूटनीति जिससे लोगों का भविष्य सुरक्षित होगा।”
क्या है विवाद की असली वजह?: दरअसल रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो देश में शामिल हो और रूस-यूक्रेन विवाद के बीच सबसे बड़ा वजह यही है और 2014 से इस विवाद की शुरुआत हुई। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नाटो देश में शामिल हो गया तो वो अपने दुश्मनों से घिर जाएगा और उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अगर यूक्रेन नाटो देशों में शामिल होता है तो भविष्य में रूस अगर कभी भी यूक्रेन को हानि पहुंचाता है या उस पर हमला करता है तो इस समूह (NATO) के सभी देश इसे अपने खिलाफ हमला मानेंगे और यूक्रेन की सहायता भी करेंगे।
बता दें कि यूक्रेन को रूस खोना नहीं चाहता है और एक समय व्लादिमीर लेनिन ने भी कहा था कि यूक्रेन को खोना रूस के लिए अपना सिर काट देना जैसा होगा। यूक्रेन रूस की पश्चिमी सीमा पर स्थित है और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब रूस पर हमला हुआ तब यूक्रेन की सीमा से ही रूस ने अपने सीमा की रक्षा की थी।
1917 से पहले सोवियत संघ का हिस्सा था यूक्रेन: यूक्रेन 1917 से पहले सोवियत संघ का हिस्सा था लेकिन 1917 में रूसी क्रांति के बाद यूक्रेन ने खुद को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। हालांकि 1920 में एक बार फिर से यूक्रेन सोवियत संघ में शामिल हो गया। यूक्रेन को असल मायनों में आजादी 1991 में मिली जब सोवियत संघ देशों का विघटन हुआ और 15 नए देशों का गठन हुआ, जिसमें यूक्रेन भी शामिल था।
विवाद पर क्या बोला भारत?: वहीं रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सभी पक्षों से आग्रह है कि यूक्रेन संकट का समाधान समझौते की भावना से होना चाहिए। साथ ही भारत ने सभी पक्षों से संयम बरतने की भी अपील की। विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी और फ्रांस की 5 दिनों की यात्रा पर जा रहे हैं, जहां पर वह यूरोप के कई विदेश मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्री की यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात में रूस-यूक्रेन विवाद अहम मुद्दा हो सकता है।