Bilawal Bhutto Remark Controversy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लेकर दिए गए बयान पर मचे बवाल के बाद पाक विदेश मंत्री (Pak Foreign Minister) बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) ने कहा कि “गुजरात का कसाई” शब्द मैंने नहीं भारत की जनता ने ही गढ़ा है। बिलावल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से इतर एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पीएम मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की थी, जिसके बाद भारत में देशव्यापी विरोध शुरू हो गया है।
बिलावल के बयान का भारत में हो रहा जबरदस्त विरोध
देश के कई राज्यों में लोग बिलावल के इस बयान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके पोस्टर जला रहे हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी समेत कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने भी इस विवादिच बयान की कड़ी निंदा की है।
पाकिस्तानी मीडिया डॉन के मुताबिक, बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध का जवाब देते हुए, बिलावल भुट्टो ने दावा किया कि “भारतीय मुसलमान अविश्वसनीय भेदभाव और घृणा का सामना कर रहे हैं और उन्हें इसका विरोध करना चाहिए।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियां इतिहास पर आधारित हैं और किसी की पसंद या नापसंद पर इतिहास को बदलना मुश्किल है।
भारत सरकार देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रही: बिलावल
उन्होंने कहा, “मैंने गुजरात का कसाई शब्द गढ़ा नहीं था, भारतीय नागरिकों ने उन्हें यह उपाधि दी थी। इसलिए, आप कितना भी विरोध कर लें, आप तथ्यों को नहीं बदल सकते।” उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रही है।
बिलावल के किस बयान पर मचा है बवाल
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, बिलावल ने कहा था, “ओसामा बिन लादेन मर चुका है, लेकिन गुजरात का कसाई जिंदा है और वह भारत के प्रधानमंत्री हैं।” भुट्टो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयानों का जवाब देते हुए एक प्रेस वार्ता के दौरान ये बातें कही थीं।
इस दौरान, पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में शामिल थे, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। हालांकि, गुजरात की एक अदालत ने पुष्टि की कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। भुट्टो ने दावा किया कि दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के चलते कई लोगों की जान गई थी। इसके परिणामस्वरूप गुजरात, जम्मू और कश्मीर, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और भारत के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।