अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अंतरिक्ष विज्ञान के शौकीन भारतीय मूल के उस अमेरिकी छात्र की सराहना की है, जो कि गूगल साइंस फेयर का दो बार ग्लोबल फाइनलिस्ट बनने वाला पहला व्यक्ति है। 15 वर्षीय प्रणव शिवकुमार ने सोमवार को ओबामा द्वारा आयोजित व्हाइट हाउस एस्ट्रोनॉमी नाइट में शिरकत की। इस समारोह के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि प्रणव में कुछ साहसिक करने की भावना है।
ओबामा ने कहा, जब प्रणव शिवकुमार छह साल के थे, तब उन्हें अपने घर में मशहूर वैज्ञानिकों के बारे में एक विश्वकोश (एनसाइक्लोपीडिया) पड़ा मिला। कम से कम वह तो यही सोचते हैं कि वह वहां पड़ा हुआ था। दरअसल, उसके माता-पिता संभवत: इस उम्मीद में उसे वहां रख रहे होंगे कि वह इसमें रूचि लेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, और वह तब से बाहरी अंतरिक्ष को लेकर रोमांचित रहा है। कई साल तक, उसके माता-पिता हर शनिवार सुबह एक घंटे तक गाड़ी में बैठाकर उसे एस्ट्रोफिजीक्स की एक प्रयोगशाला में आस्क-ए-साइंटिस्ट (वैज्ञानिक से पूछें) कक्षा के लिए ले जाते थे। ज्यादा समय नहीं गुजरा कि वह वहां एक महत्वपूर्ण अध्ययन (ग्रेविटेशनल लेंसिंग ऑफ क्वासर्स) के लिए अध्ययनकर्ताओं के साथ जुड़ गया। इस उम्र में मैं तो यह नहीं सोच रहा था।
ओबामा ने कहा, प्रणव ग्लोबल साइंस फेयर का एक बार नहीं बल्कि दो बार ग्लोबल फाइनलिस्ट रहा है। वह कुछ महत्वपूर्ण चीजें करने जा रहा है। तालियों के साथ उसका हौसला बढ़ाएं।
इसलिए कुछ खास हैं प्रणव
इलिनोइस के ऑरोरा स्थित इलिनोइस मैथ्स एंड साइंस एकेडमी में आठवीं कक्षा का छात्र प्रणव दुनियाभर के उन 20 किशोरों में से एक है, जिसका नाम गूगल की ऑनलाइन साइंस एवं तकनीक प्रतियोगिता में फाइनलिस्ट के तौर पर चुना गया है। प्रणव को पिछले माह वर्जिन गैलेक्टिक पायनियर अवॉर्ड मिला था। उसे यह पुरस्कार क्वासर्स पर शोध करने के लिए मिला था। क्वासर्स रात के समय आसमान में बेहद चमकीले दिखाई देते हैं।
वर्ष 2013 में नेशनल स्पेलिंग बी में उपविजेता रहा प्रणव शिकागो विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के साथ उन तारामंडलों का पता लगाने की दिशा में काम कर रहा है, जिनमें गहरे रंग के पदार्थ की बहुलता है। वर्जिन गैलेक्टिक पायनियर अवॉर्ड के तहत उसे कंपनी के मोजावे एयर एंड स्पेसपोर्ट के दौरे पर जाने का और कंपनी के इंजीनियरों से मिलने का अवसर मिला। उसे वर्जिन गैलेक्टिक के नए अंतरिक्ष यान में जाने का भी अवसर मिला ।
ओबामा के गृहनगर शिकागो से आने वाले प्रणव ने हालिया प्रेस विज्ञप्ति में कहा, यह एक रोमांचक सफर रहा। उसने कहा, मेरी योजना इस अनुसंधान को कई साल तक जारी रखने की है ताकि मैं इस ब्रहमांड के 95 प्रतिशत अंश में विद्यमान श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा की समझ विकसित करने में कुछ योगदान दे सकूं और इसके भविष्य का पता लगा सकूं।