बांग्लादेश में हिंदू विरोधी गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार पर हिंदुओं को मुख्यधारा से बाहर करने के प्रयास किए जाने के आरोप लग रहे हैं। हाल ही में ऐसी कई रिपोर्ट सामने आई हैं, जिसमें ये दावे किए गए हैं कि गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने एक आदेश जारी कर पुलिस विभाग में कांस्टेबल से लेकर उच्च पदों तक किसी भी हिंदू की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। मीडिया सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस विभाग को हिंदूमुक्त बनाने के आदेश जारी किए गए हैं और करीब 1500 हिंदू उम्मीदवारों के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। हालांकि जनसत्ता ऐसी किसी खबर की पुष्टि नहीं करता है।

उच्च पदों पर तैनात 100 से अधिक हिंदू अधिकारियों को किया बर्खास्त

शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से देश में हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाइयों में तेजी आई है। ऐसे दावे किए जा रहे कि सहायक पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक और डीआईजी जैसे उच्च पदों पर तैनात 100 से अधिक हिंदू अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। उनकी जगह कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़े जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों को नियुक्त किया जा रहा है।

पिछले साल शुरू हुई 79,000 भर्तियां रद्द, जनवरी से होगी नई शुरुआत

कई मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से यह भी दावे किए जा रहे हैं कि सरकार ने पिछले साल शुरू हुई पुलिस विभाग की 79,000 भर्तियों को भी रद्द कर दिया है। नई भर्ती प्रक्रिया जनवरी में शुरू होने की बात कही जा रही है। इसमें हिंदुओं को पूरी तरह से बाहर रखने की योजना बनाई गई है।

इन रिपोर्टों के मुताबिक बांग्लादेश पुलिस के आईजीपी बहारुल आलम को आदेश दिया गया है कि किसी भी हिंदू उम्मीदवार को कांस्टेबल या सहायक उप-निरीक्षक के पद पर नियुक्त न किया जाए। यहां तक कि अगर कोई हिंदू पात्र भी हो, तो भी उसे भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखने को कहा गया है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि सिविल सेवा परीक्षा में भी हिंदू उम्मीदवार सफल न हो पाएं।

बांग्लादेश में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों, संपत्तियों और प्रतिष्ठानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। शेख हसीना सरकार के सत्ता से जाने के बाद से हिंदुओं को निशाना बनाते हुए कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें उनकी जान तक गई है। हालांकि, प्रधानमंत्री यूनुस ने स्थिति सुधारने की बात कही थी, लेकिन हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।