Bangladesh News: बांग्लादेश में तख्तापलट और अंतरिम सरकार बनने के बाद भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है। इस प्रदर्शन के दौरान ही छात्र सुप्रीम कोर्ट के सामने चले गए थे और सुप्रीम कोर्ट पर चीफ जस्टिस को इस्तीफे देने के लिए दबाव बनाया था और उन्हें इस्तीफा देना भी पड़ा था। इसके बाद से ही यह साफ हो गया था कि बांग्लादेशी कोर्ट छात्रों के सामने पंगु हो चुकी है, जिसका उदाहरण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से सामने आया है, जिसके तहत कोर्ट ने हाई कोर्ट के ही 12 जजों को निलंबित कर दिया है।
दरअसल, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 12 जजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध की वजह छात्रों का दबाव माना जा रहा है, जिनका आरोप है कि ये सभी जज आवामी लीग समर्थक और फासीवादी जज हैं। इन जजों को हटाने की मांग को लेकर छात्र लगातार उग्र प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके चलते छात्रों के आगे झुक गई।
सुप्रीम कोर्ट के अंदर पहुंच गए प्रदर्शनकारी छात्र
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्र हाई कोर्ट परिसर में अपना विरोध-प्रदर्शन शुरू करते हुए अवामी लीग से जुड़े उन न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग करने लगे थे। छात्रों का आरोप हैं कि वे पार्टी लाइन पर चल रहे थे।
इन जजों को न्यायिक गतिविधियों से निलंबित किए जाने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपना विरोध रविवार तक के लिए स्थगित कर दिया है।
पक्षपाती जजों के खिलाफ है विरोध
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि 12 न्यायाधीशों ने इस्तीफा नहीं दिया था और उन्हें हटाने के लिए कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं था। विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयोजक सरजिस आलम ने कहा कि छात्र शेख हसीना, अवामी लीग, “फासीवादी सरकार” और “पक्षपाती” जजों से जुड़े न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने जब दबाव में दिया था इस्तीफा
बता दें कि अगस्त में ही बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का घेराव किया था और चीफ जस्टिस ओवैदुल हसन को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था। छात्रों का कहना था कि अगर दो घंटे में इस्तीफा नहीं हुआ, तो स्थिति भयानक हो सकती है। इसके चलते दबाव में आकर चीफ जस्टिस ने कुछ ही घंटों में अपना पद छोड़ दिया था।