बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ जारी विरोध कई दिन बाद सोमवार को शांत दिखाई दिया है। आम लोगों को कुछ वक़्त के लिए कर्फ़्यू से भी राहत दी गई है। हालांकि कम्यूनिकेशन सेवाएं अभी भी बहाल नहीं की गई हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों की ओर से सरकार को 48 घंटे का वक़्त दिया गया है कि वह नई मांगों पर विचार करें। रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित कर हाई कोर्ट के 30% आरक्षण के आदेश पर लगाई रोक लगा दी है।

जून के महीने में उच्च न्यायालय ने प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा 2018 में हटाए गए नौकरी आरक्षण को बहाल कर दिया था। जिसके बाद पूरे देश में अलग-अलग जगह से बवाल की खबरें सामने आने लगी और छात्र सड़कों पर उतर गए। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अब तक 147 लोगों के मारे जाने की खबर है।

बांग्लादेश में हिंसा : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 30 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को गैरकानूनी बताया और कहा कि 93% सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर आवंटित की जानी चाहिए। हालांकि विरोध शांत नहीं हुआ और ढाका विश्वविद्यालय के एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर रॉयटर्स से कहा कि जब तक सरकार राजपत्र में फैसले को प्रकाशित नहीं कर देती, हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।”

छात्रों की नई मांगे क्या हैं?

प्रदर्शनकारी छात्रों ने हिरासत में लिए गए छात्र नेताओं की रिहाई, कर्फ्यू हटाने और बुधवार से बंद विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने की भी मांग की है। उन्होंने सरकार इसके लिए 48 घंटे का समय दिया है, लेकिन यह अभी नहीं कहा जा सकता कि आगे क्या होगा।

सोमवार को हिंसा या विरोध प्रदर्शन की कोई रिपोर्ट नहीं आई और स्थानीय मीडिया के मुताबिक दोपहर में कर्फ्यू में तीन घंटे की ढील दी जाएगी, जिसे पिछले दिन दो घंटे बढ़ाया गया था, ताकि लोग जरूरी सामान खरीद सकें।

फिलहाल हालात क्या है?

राजधानी ढाका की सड़कों पर कई स्थानों पर सेना के टैंक तैनात देखे गए हैं। डिपार्टमेंट स्टोर्स ने कहा कि उनके पास स्टॉक खत्म हो रहा है। इंटरनेट बंद होने से कई काम ठप पड़े हैं। कई यात्री टिकट नहीं मिल पाने, ट्रांसपोर्ट बाधित होने से काफी परेशान दिखाई दिए हैं। हालांकि ताजा कर्फ़्यू से आम लोगों को काफी राहत मिल सकती है।