बांग्लादेश के फरीदपुर में मशहूर गायक जेम्स का एक संगीत कार्यक्रम कट्टरपंथियों के हंगामे के कारण रद्द कर दिया गया। यह कार्यक्रम एक स्कूल की सालगिरह के मौके पर आयोजित किया गया था, लेकिन रात के समय हमलावरों की एक भीड़ ने वहां जबरन घुसने की कोशिश की और लोगों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हालांकि स्थानीय छात्रों ने इन हमलावरों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन माहौल बिगड़ता देख प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से इस कॉन्सर्ट को बंद करने का निर्देश दे दिया।

लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस घटना पर चिंता जताई और कहा कि बांग्लादेश में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि सांस्कृतिक केंद्र छायानाट को जला दिया गया है। उदिची जैसे संगठन, जो संगीत, नाटक, नृत्य, कविता और लोक संस्कृति के जरिए समाज में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील सोच फैलाने के लिए बने थे, उन्हें भी नष्ट किया जा रहा है।

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तस्लीमा नसरीन ने कहा कि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि कट्टरपंथियों ने मशहूर गायक जेम्स को भी एक कार्यक्रम में गाने नहीं दिया। कलाकारों को डराया जा रहा है। जेम्स जैसे लोकप्रिय गायक को गाने से रोकना इस बात का सबूत है कि वहां अब कलाकारों के लिए मंच सुरक्षित नहीं रह गए हैं और कट्टरपंथी ताकतें सांस्कृतिक गतिविधियों को निशाना बना रही हैं।

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देश के खराब हालातों को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने बांग्लादेश आने से इनकार कर दिया है। मैहर घराने के सिराज अली खान बिना कोई प्रोग्राम किए ही भारत लौट गए और साफ कहा कि जब तक संगीत और कलाकार सुरक्षित नहीं होंगे, वे वापस नहीं आएंगे। इसी तरह मशहूर उस्ताद राशिद खान के बेटे अरमान खान ने भी ढाका आने का निमंत्रण यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वे ऐसी जगह नहीं जाना चाहते जहां संगीत के प्रति इतनी नफरत और कट्टरता फैली हुई हो।

जेम्स न केवल बांग्लादेश बल्कि भारत में भी अपने ‘भीगी-भीगी’ और ‘अलविदा’ जैसे सुपरहिट गानों के लिए बहुत पसंद किए जाते हैं, लेकिन उन पर हुआ यह हमला बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। आलोचकों का मानना है कि वहां की मौजूदा अंतरिम सरकार भीड़ और हिंसा को रोकने में नाकाम रही है। जानकारों का यह भी आरोप है कि जान-बूझकर सांस्कृतिक संस्थानों और कलाकारों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि देश का माहौल खराब रहे और आगामी चुनावों को टाला जा सके।