बांग्लादेश में अभी भी शांति नहीं आई है। अब वहां पर नई अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। बता दें कि ढाका में रविवार देर रात ‘जुलाई विद्रोह’ के प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर मोहम्मद यूनुस के आवास के बाहर पहुंचे। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि छात्र आंदोलन के दौरान घायल हुए प्रदर्शनकारियों का अच्छा इलाज हो। इसके अलावा प्रदर्शनकारी पुनर्वास और आधिकारिक मान्यता की मांग भी कर रहे हैं।
जानें क्यों हो रहा प्रदर्शन
शनिवार से प्रदर्शन शुरू हुआ और रविवार शाम तक तेज हो गया। इसके बाद प्रदर्शनकारी मोहम्मद यूनुस के आवास स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए और उन्हें रास्ते में ही सुरक्षाबलों ने बैरिकेड लगाकर रोक दिया। बांग्लादेशी मीडिया ढाका ट्रिब्यून के अनुसार एक प्रदर्शनकारी अमीनुल इस्लाम ईमान ने बताया कि वर्तमान सरकार जुलाई आंदोलन में घायल और मारे गए लोगों के खून से बनी है।
हालांकि प्रदर्शनकारियों को सरकार की ओर से आश्वासन मिला और इसके सोमवार तड़के उन्होंने अपना धरना ख़त्म कर दिया। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के सेंट्रल कॉर्डिनेटर हसनात अब्दुल्लाह ने देर रात प्रदर्शनकारियों से मुलाक़ात की। एक प्रदर्शनकारी मुनीर हसन ने बताया कि हसनात अब्दुल्लाह ने बताया है कि कुछ मांगें इस हफ्ते और बाक़ी आने वाले दिनों में मान ली जाएंगी।
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प्रदर्शनकारियों ने पहले ही कह दिया था कि जब तक उनकी मांगों को लेकर कोई लिखित आश्वासन नहीं मिलता है, तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि सरकार उनके साथ लगातार बातचीत कर रही है। इस बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने कहा कि अगर बातचीत रुकी रहती है तो तानाशाहो को मौका मिल जाएगा। उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर निशाना भी साधा। तारिक रहमान ने कहा कि जिन लोगों को जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्हें यह सब कुछ शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि बहुमत उनके पास है।
हालांकि मोहम्मद यूनुस का नजरिया अलग है। कुछ दिन पहले ही फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि सभी सुधार तुरंत लागू नहीं किए जा सकते और छात्र अपना राजनीतिक दल बनाएंगे। उन्होंने 15 अलग-अलग सुधारो के लिए आयोग का गठन किया था और वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही सभी पर सहमति बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि चुनाव इस साल के अंत तक हो जाएंगे और देश की एकता की रक्षा वह कर रहे हैं।
क्या वापस आ जाएगा शेख हसीना का दौर?
अब बड़ा सवाल यह उठाता कि अगर सरकार लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करती है, तो क्या फिर से जुलाई वाली स्थिति लौट आएगी। जुलाई 2024 में ही शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था और अगस्त में उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था। पढ़ें अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने क्यों चलाया अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन