Bangladesh News: पड़ोसी देश बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने देश की सेना के अधिकारियों को पूरे देश में एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट शक्ति दी है। बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय ने इस बारे में गजट अधिसूचना जारी की। ये अधिकार सेना के कमीशन हासिल अधिकारियों को दिए जाएंगे। यह आदेश अगले 60 दिनों तक लागू रहेगा।

बीएसएस समाचार एजेंसी ने बताया कि गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (Retd) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि सेना को मजिस्ट्रेटी शक्ति देने से लोगों को फायदा मिलेगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जो पुलिस अधिकारी अभी तक सेवा में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अब शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग बांग्लादेश सेना के कमीशन हासिल वाले अधिकारियों की मजिस्ट्रेटी शक्ति का फायदा उठाएंगे।

मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि सेना को सार्वजनिक सेवा करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मजिस्ट्रेट की शक्ति दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी के पास जनशक्ति की कमी है और इस कमी को पूरा करने के लिए सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति दी गई है। इतना ही नहीं बांग्लादेश की सेना लोगों के लिए सही है। आम लोगों को उनके साथ बातचीत करने और उनसे मदद लेने में कोई दिक्कत नहीं है।

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अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर के अंडर होंगे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीसी या सीआरपीसी की धारा 17 कहती है कि ये अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर के अंडर होंगे। गैरकानूनी रैलियों की गिरफ्तारी और उन्हें तितर-बितर करने समेत यह अधिकार सेना के कमीशन हासिल करने वाले अधिकारियों को दिया गया है। मंगलवार को द डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार अंतरिम सरकार के एक सलाहकार ने कहा कि सेल्फ डिफेंस और ज्यादा जरूरत पड़ने पर अधिकारी गोली भी चला सकता है।

एक अन्य सलाहकार ने नाम न बताने का आग्रह करते हुए कहा कि पुलिस अभी भी ठीक से काम नहीं कर रही है। देश में काफी गैरजरूरी गतिविधियां हो रही हैं। 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद में बांग्लादेश में कई पुलिस वाले सड़कों पर मौजूद नहीं हैं। पूर्व पीएम शेख हसीना को हटाने से पहले और उसके तुरंत बाद पुलिस को गुस्से का सामना करना पड़ा। भीड़ ने उनकी गाड़ियों और स्टेशनों को फूंक दिया था।

बीपीएसए ने की थी हड़ताल

हमलों के बाद बीपीएसए ने 6 अगस्त को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की। तत्कालीन गृह मंत्रालय के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (Retd) एम सखावत हुसैन के साथ कई बैठकों के बाद 10 अगस्त को हड़ताल वापस ले ली गई। फिर भी कई पुलिस अधिकारी काम से गैरहाजिर रहे। पूर्व सचिव अबू आलम मोहम्मद शाहिद खान ने कहा कि मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का फैसला समय की मांग थी।

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इस कदम की वजह से पूरे देश में कानून और व्यवस्था में काफी सुधार होगा। हालांकि, वरिष्ठ वकील जेडआई खान पन्ना इस फैसले से काफी खुश नजर नहीं आए। द डेली स्टार अखबार ने पन्ना के हवाले से कहा कि यह सही नहीं है। क्या सरकार ने मजिस्ट्रेटों पर भरोसा खो दिया है। डिप्टी कमिश्नरों के अंडर मजिस्ट्रेट के कामों का पालन करना सेना के कर्मचारियों के लिए सही नहीं है। सेना के कर्मियों को आम जनता के साथ मिलाना बुद्धिमानी नहीं होगी।