बांग्लादेश पुलिस ने देश की पहली समलैंगिक पत्रिका के संपादक व उनके मित्र की हत्या के मामले में संदिग्ध इस्लामी आतंकी की गिरफ्तारी की घोषणा की है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय पर की गई है, जब मुस्लिम बहुल इस देश में एक के बाद एक बुद्धिजीवियों, लेखकों और अल्पसंख्यकों की हत्याएं हुई हैं। ढाका मेट्रो पुलिस के प्रवक्ता व उपायुक्त मारूफ हुसैन सरदार ने कहा कि संदिग्ध शरीफ उल इस्लाम उर्फ शिहाब को रविवार (15 मई) तड़के कुष्ठिया से पकड़ा गया। संदिग्ध व्यक्ति एक इस्लामी आतंकी संगठन से जुड़ा है। डिटेक्टिव ब्रांच के उपायुक्त मशरूकुर रहमान खालिद ने कहा, ‘शिहाब ‘अनसारूल्ला बांग्ला टीम’ का कार्यकर्ता है। वे हत्या के बाद से खुलना में छिपे रहे।’
बीडीन्यूज24डॉट कॉम की खबर के अनुसार इस संदर्भ में कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। 25 अप्रैल की शाम को हमलावर यूएसएड के कार्यक्रम अधिकारी एवं बांग्लादेश की पहली एलजीबीटी पत्रिका के संपादक जुल्हाज मन्नान के अपार्टमेंट में जबरन घुस गए। जुल्हाज और उनके मित्र एवं थियेटर कार्यकर्ता महबूब रब्बी टोनी के सिर और गर्दन पर मांस काटने वाले गंडासे से वार किया गया। फोरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि तुरंत मौत सुनिश्चित करने के लिए इन हथियारों से वार किया गया। आतंकी संगठन ‘अनसर अल इस्लाम’ ने इन दो हत्याओं के साथ-साथ छह ब्लॉगरों-ऑनलाइन कार्यकर्ताओं और प्रकाशकों की हत्याओं की भी जिम्मेदारी ली है। यह संगठन खुद को अल कायदा का बांग्लादेशी संगठन बताता है। हमलावरों ने इमारत के एक सुरक्षाकर्मी को भी घायल कर दिया था। हमलावरों ने उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले एक पुलिस अधिकारी को भी घायल कर दिया था। यह पुलिसकर्मी गश्त पर तैनात था।
हालांकि वह एक हमलावर से बैग छीनने में कामयाब रहा। बैग में दो बंदूकें, गोला-बारूद और एक मोबाइल फोन था। जुल्हाज के परिवार ने उसी दिन पांच से छह अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्याओं का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने भी अपने एक जवान पर हमले और बंदूकों की बरामदगी का एक अन्य मामला दर्ज किया। हाल के सप्ताहों में बांग्लादेश में व्यवस्थागत ढंग से अल्पसंख्यकों, सेकुलर ब्लॉगरों, बुद्धिजीवियों और विदेशियों को निशाना बनाकर हमले किए गए हैं। हालिया हमले में, 70 साल के एक बौद्ध भिक्षु को शनिवार को बांग्लादेश के सुदूर मठ में मार दिया गया था। पुलिस ने कहा कि यह मामला इस्लामी चरमपंथियों द्वारा पूर्व में की गई सेकुलर ब्लॉगरों और अल्पसंख्यकों की हत्या की कड़ी है।
पिछले माह छुरे लेकर आए आइएसआइएस आतंकियों ने उदारवादी प्रोफेसर की हत्या कर दी थी। आतंकियों ने प्रोफेसर के राजशाही शहर स्थित घर पर उनका गला रेत दिया था। बीते 30 अप्रैल को, धारदार हथियारों से लैस आइएसआइएस आतंकियों ने एक हिंदू दर्जी की उसकी दुकान में ही हत्या कर दी थी। भारतीय प्रायद्वीप में आइएसआइएस और अलकायदा ने कई हमलों की जिम्मेदारी ली है लेकिन सरकार बांग्लादेश में उनकी मौजूदगी की बात से इनकार करती है।