बांग्लादेश में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके कारण वहां के हालात बहुत खराब हैं। कई भारतीय छात्र भी वहां फंसे हुए हैं और भारत लौट रहे हैं। भारतीय उच्चायोग भी इसके लिए छात्रों की मदद कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय भी पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है और सिविल एविएशन, इमिग्रेशन, बंदरगाहों और सीमा सुरक्षा बल के साथ सहयोग कर रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार अब तक 778 भारतीय छात्र बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौटे हैं। वहीं 200 से अधिक छात्र ढाका और चटगांव एयरपोर्ट के जरिए विमान से घर लौटे हैं। बांग्लादेश के विश्वविद्यालय में करीब 4000 छात्र अभी भी फंसे हुए हैं और वह भारत लौटना चाहते हैं।

जून महीने में बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था और यह प्रदर्शन विवादित कोटा प्रणाली को लेकर शुरू हुआ था। प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के बीच झड़प हो गई, जिससे हिंसा फैल गई। विरोध प्रदर्शन को कई संगठन आगे बढ़ा रहे हैं और देशव्यापी बंद का आवाहन भी किया है।

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अब तक 123 लोगों की गई जान

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के चलते अब तक 123 लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी है। शेख हसीना सरकार ने कानून व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नेशन वाइड कर्फ्यू लगाने और सेना को जमीन पर उतारने का ऐलान किया है। वहीं दूसरी ओर पड़ोस में जारी इस स्थिति को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मसला बताया है और वहां मौजूद सभी भारतीय सुरक्षित हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 350 से ज्यादा प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबलों के जवान जख्मी हुए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि हम इसे देश का आंतरिक मामला मानते हैं। भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद इस मामले पर करीब से नजर रख रहे हैं। इस हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण बांग्लादेश में बस और ट्रेन सेवाएं बंद हो गईं हैं। इसके अलावा स्कूल कॉलेज से लेकर कई संस्थान तक बंद हैं।