Bangladesh News: बांग्लादेश में तख्तापलट और तमाम बवाल के बाद सरकार बदल चुकी है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की तरफ से बड़े-बड़े वादे और दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के लिए लिए मुल्क में चुनौतियां कम नहीं हो रही है और लगातार उन्हें कट्टरपंथियों द्वारा निशाने पर लिया जा रहा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि बांग्लादेश में 4-20 अगस्त के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 2,000 से अधिक घटनाओं में 9 लोग मारे गए थे।
हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हुई घटनाओं को लेकर उनके ही एक संगठन ने कहा कि बांग्लादेश में 4 से 20 अगस्त के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 2,000 से अधिक घटनाओं में कम से कम नौ लोग मारे गए हैं और 69 धार्मिक स्थानों पर हमले और तोड़फोड़ की गई है और मूर्तियों तक निशाना बनाया गया है।
76 जिलों में हुईं 2010 से ज्यादा घटनाएं
डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, और ईसाईयों के ओइक्या परिषद के नेता निर्मल रोज़ारियो ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में सांप्रदायिक हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की बात कही। संगठन के उपाध्यक्षों में से एक निर्मल रोज़ारियो ने कहा कि 4 से 20 अगस्त के बीच देश भर के 76 जिलों और महानगरीय क्षेत्रों में से 68 में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2,010 घटनाएं हुईं, जिनमें नौ लोगों की मौत हो गई।
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प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार भंग होने और राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान सांप्रदायिक हिंसा का विवरण देते हुए निर्मल ने कहा कि हिंसा से 1,705 परिवार सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे। उनमें से 157 परिवारों पर हमला किया गया, लूट-पाट की गई, तोड़फोड़ की गई और आग तक लगा दी गई।
शनिवार को किया बड़ी रैली का ऐलान
उन्होंने कहा कि 1,705 प्रभावित परिवारों में से 34 स्वदेशी समुदायों के थे और कुछ परिवारों की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। निर्मल ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में सांप्रदायिक हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का आह्वान किया। उन्होंने बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और अन्य नेताओं के खिलाफ झूठे मामले वापस लेने, चल रही सांप्रदायिक हिंसा को समाप्त करने और अपराधियों की गिरफ्तारी और सजा की भी मांग की।
उन्होंने अपनी मांगों को लेकर शनिवार को ढाका सहित पूरे देश में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और रैली की भी घोषणा की। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मंगलवार को हिंसा प्रभावित देश में कानून व्यवस्था में सुधार और “विध्वंसक कृत्यों” को रोकने के लिए सेना को दो महीने के लिए मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान कीं हैं।
सेना के जवानों को दी गई ज्यादा शक्तियां
गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को कहा कि बांग्लादेश सेना के कमीशन अधिकारियों को मजिस्ट्रेटी शक्ति प्रदान करने का लाभ बांग्ला (बांग्लादेश) के लोगों को मिलेगा।
कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा है कि हम देश भर में कई स्थानों पर, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों में विध्वंसक कृत्य और बाधित स्थिरता देख रहे हैं। स्थिति को देखते हुए, सेना के जवानों को मजिस्ट्रेटी शक्ति दी गई है।