बांग्लादेश की चटगांव कोर्ट ने आज कड़ी सुरक्षा के बीच हुई सुनवाई में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ज़मानत देने से इनकार कर दिया है। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वकील अपूर्व भट्टाचार्य और 10 अन्य लोग चिन्मय दास का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोर्ट में पेश हुए थे। मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफ़िज़ुर हक भुइयां के अनुसार चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के लगभग 30 मिनट बाद ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट जाएंगे वकील

चिन्मय दास का बांग्लादेश में प्रतिनिधित्व कर रहे वकील रवींद्र घोष को सुनवाई से पहले मंगलवार शाम को एसएसकेएम अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हम हाईकोर्ट का रुख करेंगे।

खबर सुनने के बाद कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधा रमन दास ने मीडियाकर्मियों से कहा, “यह बहुत दुखद खबर है। हर कोई उम्मीद कर रहा था कि चिन्मय प्रभु को नए साल में रिहाई मिल जाएगी लेकिन 42 दिनों के बाद भी आज की सुनवाई में उनकी ज़मानत खारिज कर दी गई। बांग्लादेश सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें न्याय मिले। हमें कुछ उम्मीद थी। हमने यह भी सुना है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।”

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25 नवंबर को हुई थी गिरफ्तारी

बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। अगले दिन उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। उनकी गिरफ़्तारी के बाद भारत और बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

चिन्मय दास बांग्लादेश की हिंदू आबादी के प्रमुख चेहरे और लगातार हिंदुओं से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं। बांग्लादेश की 8% आबादी हिंदू है। चिन्मय दास बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता भी हैं। बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से अधिक मंदिर हैं और 50,000 से अधिक लोग इससे जुड़े हुए हैं। पढ़ें बीजेपी नेता से क्यों मिले हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास के वकील?