बांग्लादेश के ढाका हाई कोर्ट ने अडानी ग्रुप को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को भारत के अडानी ग्रुप को आदेश दिया कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के विद्युत विकास बोर्ड (BPDB) के साथ भुगतान विवाद को लेकर सिंगापुर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तब तक न करे जब तक कि उसके बिजली आपूर्ति सौदे की जांच पूरी न हो जाए।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट की दो जजों वाली पीठ के आदेश के अनुसार मध्यस्थता तब तक स्थगित रहेगी जब तक कि बिजली खरीद समझौते और संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए नियुक्त समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती। यह आदेश एक वकील की याचिका के बाद आया है, जिसमें अडानी के साथ बीपीडीबी के समझौते को रद्द करने की समीक्षा के लिए हाई कोर्ट के हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था।

याचिका में इसे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में हस्ताक्षरित एकतरफा समझौता बताया गया था। याचिका में कहा गया है कि अडानी की बिजली की कीमत अन्य कंपनियों की तुलना में बहुत अधिक है। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से प्राप्त बिजली की कीमत 5.5 टका प्रति यूनिट है, जबकि अन्य भारतीय निजी कंपनियों से प्राप्त बिजली की कीमत 8.5 टका प्रति यूनिट है। नेपाल से प्राप्त बिजली की कीमत 8 टका प्रति यूनिट है, जबकि अडानी से प्राप्त बिजली की कीमत 14 टका प्रति यूनिट से अधिक है।

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बिजली की कीमत से जुड़ा मामला

हाई कोर्ट का आदेश ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश विद्युत विकास बोर्ड और अडानी के बीच भुगतान संबंधी मतभेदों पर अभी भी बातचीत चल रही है। इससे पहले प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अडानी पर गोड्डा प्लांट को भारत से मिलने वाले टैक्स लाभ को रोककर बिजली खरीद समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। बांग्लादेश ने 30 जून 2024 को समाप्त वित्त वर्ष (जुलाई-जून) के दौरान अडानी को 14.87 टका (0.122 डॉलर) प्रति यूनिट का शुल्क दिया, जो अन्य भारतीय कंपनियों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली बिजली के लिए औसत 9.57 टका प्रति यूनिट से कहीं अधिक है।

अडानी पावर ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उसने बांग्लादेश की बिजली आपूर्ति भुगतान संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया का विकल्प चुना है। इसका कारण 2017 में हस्ताक्षरित अनुबंध के तहत आपूर्ति की जाने वाली बिजली के लंबित भुगतानों को लेकर उसका और बीपीडीबी के बीच विवाद है। अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने उस समय एक बयान में कहा था, “कुछ लागत तत्वों की गणना और बिलिंग के तरीके को लेकर असहमति है। इसलिए, दोनों साझेदार विवाद समाधान प्रक्रिया का सहारा लेने पर सहमत हुए हैं और एक सुचारू और पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान के प्रति आश्वस्त हैं।”