Bangladesh News: बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने रविवार 1 जून को कहा है कि पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध का आरोप लगाया जा सकता है। अदालत ने जांचकर्ताओं को हसीना के साथ-साथ पूर्व गृह मंत्री और पूर्व पुलिस प्रमुख को 16 जून को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है।
शेख हसीना अगस्त 2024 से भारत में निर्वासन में हैं। बांग्लादेश में उनकी सरकार के खिलाफ काफी आक्रामक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके चलते उन्होंने भारत में शरण ली थी। विद्रोह के कारण सत्ता में उनका 15 साल का शासन समाप्त हो गया था। बांग्लादेश ने दिसंबर 2024 में हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए भारत को औपचारिक अनुरोध भेजा था।
बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण क्या है?
इस न्यायाधिकरण की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय अपराध (न्यायाधिकरण) अधिनियम के तहत की गई थी। इसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दो साल बाद पारित किया गया था। इस अधिनियम में “मुक्ति संग्राम के दौरान, विशेष रूप से 25 मार्च से 16 दिसंबर 1971 के बीच बांग्लादेश के भूभाग में किए गए नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अन्य अपराधों के लिए व्यक्तियों का पता लगाने, मुकदमा चलाने और उन्हें दंडित करने” का प्रावधान किया गया था।
क्यों हुआ था इसका गठन?
पश्चिमी पाकिस्तान की सेनाओं द्वारा छेड़े गए खूनी नौ महीने के संघर्ष को देखते हुए इसे ज़रूरी समझा गया था। उन्होंने 1970 के आम चुनावों के नतीजों को नकार दिया था। पूर्वी पाकिस्तान में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने 162 चुनावी सीटों में से 160 सीटें जीतीं थी। हालाँकि, पाकिस्तान के सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान ने लोकप्रिय, बंगाली राष्ट्रवादी भावना के विकास को रोकने के लिए जीत को वैधता देने से इनकार कर दिया था।
पश्चिमी पाकिस्तान के सांस्कृतिक और राजनीतिक विचारों को थोपे जाने के कारण पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष पनपना का दुष्प्रभाव हुआ और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। 25 मार्च, 1971 को, पाकिस्तानी सेना ने एक क्रूर दमन शुरू किया, जिसके कारण बंगालियों का सामूहिक नरसंहार हुआ और बांग्लादेशी शरणार्थियों का भारत में आना हुआ। 4 दिसंबर को भारत द्वारा औपचारिक रूप से पाकिस्तान पर युद्ध की घोषणा करने के कुछ दिनों बाद, 16 दिसंबर को संघर्ष समाप्त हो गया।
न्यायाधिकरण का कैसे हुआ गठन?
ट्रायल्स फॉर इंटरनेशनल क्राइम्स इन एशिया (2015) नाम की किताब के अनुसार, बांग्लादेश और भारतीय सेना की संयुक्त कमान द्वारा पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के लगभग 82,000 सदस्यों और लगभग 11,000 नागरिकों को युद्ध बंदी या नजरबंद के रूप में लिया गया था। यह अधिनियम 1973 में 195 युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने के लिए पारित किया गया था, जिन पर युद्ध अपराध करने का आरोप था।
हालाँकि, फरवरी 1974 में पाकिस्तान ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी और दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हो गए थे। इसके बाद बांग्लादेश ने 195 संदिग्धों को क्षमादान दे दिया और उन्हें पाकिस्तान वापस भेज दिया गया था। तीन दशक से भी ज़्यादा समय बाद हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार ने मुकदमों के विचारों को जन्म दिया और युद्ध अपराधों के लिए राजनीतिक विपक्ष के सदस्यों पर मुकदमा चलाने की अपनी मंशा की घोषणा की। ऐसा करने के लिए आवामी लीग सरकार ने 2009 में अधिनियम में संशोधन करके इसके दायरे में नागरिकों को भी शामिल किया और एक तीन-सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के रूप में जाना जाता है।
किन पर चला था मुकदमा?
इस ट्राइब्यूनल के तहत जिन लोगों पर सबसे पहले मुकदमा चलाया गया, उनमें जमात-ए-इस्लामी समेत राजनीतिक विपक्ष के सदस्य शामिल थे। यह पार्टी बांग्लादेश की मुक्ति का विरोध करती थी और पाकिस्तान के साथ रहने की वकालत करती थी लेकिन उसने यह भी कहा कि उसने युद्ध के दौरान कोई अत्याचार नहीं किया। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार , हसीना के कार्यकाल में आईसीटी ने 100 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन न करने के लिए न्यायालय की अक्सर अधिकार समूहों द्वारा आलोचना की जाती थी।
शेख हसीना पर क्या लगे आरोप?
हसीना को कई सप्ताह तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से हटा दिया गया था। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व छात्रों ने किया था, जिन्होंने सार्वजनिक नौकरियों और शिक्षा में कोटा बढ़ाने के विवादास्पद न्यायालय के फैसले का विरोध किया था। यह कोटा मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले लोगों के बच्चों और नाती-नातिनों के लिए था।
सरकार ने कोटा खत्म करने की प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली, लेकिन हसीना द्वारा प्रदर्शनकारियों की तुलना रजाकारों के वंशजों से करने के बाद स्थिति और खराब हो गई, जिन्होंने 1971 के युद्ध के दौरान क्रूर दमन का नेतृत्व किया था। नतीजा ये कि यह विरोध प्रदर्शन शेख हसीना विरोधी प्रदर्शनों में बदल गया और उसके बाद पुलिस की कार्रवाई में 450 से अधिक लोग मारे गए।
पूर्व पीएम पर लगे 5 प्रमुख आरोप
बांग्लादेशी अख़बार द डेली स्टार के अनुसार, शेख हसीना के खिलाफ़ पांच विशेष आरोप लगाए गए हैं। मुख्य अभियोक्ता ताजुल इस्लाम ने न्यायाधिकरण को शिकायत सौंपी, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास और अन्य “अमानवीय” कृत्यों के आरोप शामिल हैं। शेख हसीना पर “हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों के इस्तेमाल से छात्र प्रदर्शनकारियों को खत्म करने का आदेश देने” का आरोप है। इसके बाद रंगपुर में बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के पास प्रदर्शनकारी छात्र अबू सईद की हत्या के मामले में भी उन पर आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना पर भड़काऊ टिप्पणी करने और प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश देने का आरोप है। इसके अलावा ढाका के चंखरपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या तथा अशुलिया में छह छात्र प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या के मामले में भी शेख हीसीा को ही आरोपी बनाया गया है।
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