Baltimore Bridge Collapse: अमेरिका के बाल्टीमोर में सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात एक दर्दनाक हादसा हुआ था। यहां पर एक मालवाहक जहाज एक पुल से टकरा गया। टक्कर लगने के बाद पुल ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। कंटेनर जहाज पर सवार चालक दल के सभी सदस्य भारतीय थे। इस घटना से पूर्वोत्तर अमेरिका में सबसे जरूरी बंदरगाहों में से एक पर कामकाज ठप हो गया है। जानकारों का मानना है कि पुल को दोबारा बनाने में तकरीबन दो साल का समय लग सकता है।
इस पुल को दोबारा बनाने में केवल समय ही नहीं बल्कि काफी लागत भी आने वाली है। इसे फिर से तैयार करने में करीब 350 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा। इस मामले की जांच कर रही टीम के हाथ एक जरूरी चीज हाथ लगी है। जांच करने वाले एक अधिकारी मार्सेल मुइज का कहना है कि तटरक्षक बल ने मंगलवार को ब्लैक बॉक्स के वीडीआर से ऑडियो बरामद किया है। इस ऑडियो को एनटीएसबी अधिकारियों को दे दिया गया है।
ब्लैक बॉक्स से मिली जानकारी
इस ब्लैक बॉक्स से यह जानकारी मिली है कि सोमवार रात 12.30 बजे डाली को दो बड़ी नावों की मदद से बंदरगाह से रवाना कर दिया गया था। इस जहाज में भारत के 21 चालक दल मौजूद थे और सभी श्रीलंका की लंबी यात्रा पर जा रहे थे। करीब 1 बजे के आसपास जहाज मैकहेनरी के चैनल में घुस चुका था। 1.30 बजे वीडीआर ने जहाज के सिस्टम के डेटा को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था। इसके कुछ समय बाद जहाज के पायलट ने एक रेडियो कॉल को प्रसारित किया और मदद मांगनी शुरू की। पायलट ने रेडियो पर बताया कि डाली पर नियंत्रण खो रहा है और फ्रांसिस स्कॉट की ब्रिज की तरफ जा रही है। डेढ़ बजे ही डाली के पुल से टकराने की आवाज सुनाई दीं। फिर पायलट ने ब्रिज के गिरने की जानकारी दी।
हादसे की वजह से क्या पड़ेगा प्रभाव?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बाल्टीमोर हादसे की वजह से काफी नुकसान हो सकता है। न्यू जर्सी और वर्जीनिया के पोर्ट पर दबाव बढ़ सकता है। बाल्टीमोर अमेरिका के पूर्वी तट के सबसे व्यस्त पोर्ट में से एक है। यह कार और लाइट ट्रक बनाने वाली यूरोपियन कंपनियों के लिए बेहद जरूरी बंदरगाह भी है। मर्सिडीज, फॉक्सवैगन और बीएमडब्ल्यू की इस पोर्ट के आसपास फैसिलिटीज हैं। वहीं अगर इसके असर की भारत पर बात की जाए तो यह अमेरिका से कोयला एक्सपोर्ट का दूसरा बड़ा टर्मिनल है। इससे भारत में कोयला निर्यात पर असर पड़ सकता है। भारत में कोयले की सालाना खपत 1000 मिलियन टन है जिसमें से 240 मिलियन टन का आयात होता है। इस हादसे की वजह से भारत को करोड़ो का नुकसान हो सकता है।