बलूचिस्तान प्रांत, पाकिस्तान का एक ऐसा हिस्सा जो 1948 के बाद से ही विद्रोह की खबरों को लेकर सुर्खियों में रहा है। ताजा खबरों के मुताबिक बलूचिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकों पर हुए हमलों में 38 की मौत हुई है, पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में 21 आतंकी मारे गए हैं और 14 सुरक्षा जवानों की भी मौत हुई है। मुसाखेल जिले में एक बस को रोका गया और पहचान करने के बाद 23 पंजाबी यात्रियों को गोली मार दी गई। रविवार देर रात को शुरू हमलों में मस्तुंग, कलात, पसनी और सुंतसर मेंपुलिस स्टेशनों को निशाना बनाया गया।
21 आतंकी और 14 सुरक्षा जवानों की मौत
पाकिस्तानी अखबार DAWN के मुताबिक सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अब तक 21 आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के चार जवानों सहित 14 सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि सुरक्षा बलों में मरने वालों की संख्या में कलात में मारे गए चार लेवी कर्मी शामिल हैं या नहीं। इस बीच पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि सरकार को इस बात का अच्छा से अंदाजा है कि इन हमलों की साजिश किसने रची और कौन इसके लिए जिम्मेदार है। DAWN के मुताबिक कलात के असिस्टेंट कमिश्नर आफताब लसी भी हमले में घायल हुए हैं लेकिन उनकी हालत स्थिर है।
बस में सवार पंजाबी नागरिकों की हत्या
इस दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा मुसाखेल जिले में बसों से यात्रियों को उतारकर गोली मार दिए जाने से जुड़े मामले की है। पहले यात्रियों की पहचान की गई और पंजाबी यात्रियों को गोलियां मारी गई, जिसमें कम से कम 23 लोग मारे गए हैं। पाकिस्तानी सेना ने जानकारी दी है कि इस दौरान कुल 14 सुरक्षा जवान भी मारे गए हैं, जिन्हें आतंकियों को रोकने के लिए ऑपरेशन के तहत उतारा गया था। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) द्वारा सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार का गया कि सुरक्षा बलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा हमलों का जवाब देते हुए 21 आतंकवादी मारे गए, जबकि 14 सैनिकों की मौत हुई है।
क्वेटा में हिंसा की घटनाओं पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने कहा कि करीब 38 निर्दोष लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा, “मैं आपको बता दूं कि यह बलूचों द्वारा पंजाबियों की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि आतंकवादियों द्वारा पाकिस्तानियों की हत्या का मामला है। आतंकवादी की कोई जाति या जनजाति नहीं होती है।”
अप्रैल महीने में भी बलूचिस्तान के नोशकी शहर के पास नौ पंजाबी यात्रियों को उनकी पहचान करने के बाद गोली मार दी गई थी। पिछले साल अक्टूबर में बलूचिस्तान के केच जिले में छह पंजाबी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2015 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था।