लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में हमला किया गया। वहां एक इंस्टीट्यूट में उनका कार्यक्रम था। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, सलमान रुश्दी पर उस समय हमला किया गया जब वे पश्चिमी न्यूयॉर्क में भाषण देने वाले थे।
एक एसोसिएटेड प्रेस रिपोर्टर ने देखा कि एक व्यक्ति ने भरी सभा में मंच पर धावा बोल दिया और सलमान रुश्दी पर अटैक किया। जिसके बाद लेखक फर्श पर गिर गए और हमलावर को पकड़ लिया गया। रुश्दी जब मंच पर अपने संबोधन के लिए पहुंचे थे, इसी दौरान हमलावर ने लेखक पर चाकू से वार करना शुरू कर दिया। पुलिस ने हमलावर को तुरंत गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, हमले की वजह को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है।
न्यूयॉर्क पुलिस के बयान के मुताबिक, “एक संदिग्ध पुरुष कार्यक्रम के दौरान मंच पर भागा और आज सुबह 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) सलमान रुश्दी पर हमला किया। रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किया गया था, जिसके बाद उन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया।”
गौरतलब है कि रुश्दी भारतीय मूल के ब्रिटिश अमेरिकी लेखक हैं। उनका जन्म मुंबई में हुआ था। सलमान रुश्दी पिछले 20 साल से अमेरिका में रह रहे हैं। उन्हें कई अहम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। सलमान रुश्दी को उनके लेखन की वजह से 1980 के दशक में ईरान से जान से मारने की धमकी मिली थी। ईरान ने रुश्दी को मारने वाले को 30 लाख डॉलर से ज्यादा का इनाम देने की पेशकश की थी।
1981 में मिला था बुकर पुरस्कार: रुश्दी ‘द सैटेनिक वर्सेस’ और ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ जैसी किताबें लिख कर चर्चा में आए थे। उन्होंने अपने दूसरे उपन्यास मिडनाइट चिल्ड्रेन के लिए 1981 में बुकर पुरस्कार मिला था।
वहीं, ‘द सैटेनिक वर्सेस’ के लिए उन्हें ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खुमैनी के फतवे का सामना करना पड़ा था। ईरान के दिवंगत नेता खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था जिसमें रुश्दी की मौत का फरमान किया गया था। मुस्लिम समुदाय ने इस उपन्यास का काफी विरोध किया था। जिसके बाद इस उपन्यास के छपने के बाद रुश्दी कई साल तक अंडरग्राउंड रहे।
ब्रिटेन ने दी है नाइट का उपाधि: 1983 में रुश्दी को रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर का फेलो चुना गया। उन्हें 1999 में फ्रांस के कमांडर डी ल’ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस नियुक्त किया गया था। 2007 में, साहित्य के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए ब्रिटिश महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया था।