रविवार की सुबह एशिया की धरती चार बार हिली। महज एक घंटे के अंदर भारत, म्यांमार (Myanmar) और ताजिकिस्तान (Tajikistan) के विभिन्न हिस्सों में चार भूकंप दर्ज किए गए, जिससे मध्य और दक्षिण एशिया में टेक्टोनिक गतिविधियों को लेकर गहरी चिंता बढ़ गई है। रविवार की सुबह 9 बजे भारत के हिमाचल प्रदेश में दिन की शुरुआत हल्के भूकंप से हुई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, मंडी जिले में 3.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। भूकंप की गहराई महज़ 5 किलोमीटर थी। कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्हें ज़मीन में कंपन महसूस हुआ और वे डर की वजह से घरों से बाहर निकल आए।

ताजिकिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया

करीब 9:54 बजे ताजिकिस्तान की भी धरती कांप उठी। यहां रिक्टर स्केल पर 6.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। शुरू में इसे 6.4 तीव्रता का आंका गया था। यह झटका सुबह का सबसे तीव्र भूकंप था, जिसने मध्य एशिया के इलाकों में दहशत फैला दी।

म्यांमार के लिए यह रविवार और भी भयावह रहा। सुबह करीब 10:00 बजे देश के मध्य हिस्से में स्थित मीकटिला (Meiktila) के पास ज़मीन फिर हिली। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह झटका 5.5 तीव्रता का था और इसका केंद्र वुंडविन (Wundwin) टाउनशिप के पास, मांडले (Mandalay) से लगभग 97 किलोमीटर दक्षिण में था। गहराई करीब 7.7 किलोमीटर दर्ज की गई।

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गौरतलब है कि यही इलाका 28 मार्च को आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप से पहले ही बुरी तरह तबाह हो चुका है। उस झटके में 3,649 लोगों की मौत और 5,018 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि की जा चुकी है। राहत कार्य अभी जारी हैं, लेकिन आफ्टरशॉक्स ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

वुंडविन और आसपास के इलाकों में रहने वालों ने बताया कि रविवार का झटका इतना तेज़ था कि लोग घबराकर घरों से बाहर भागे। कुछ मकानों की छतें टूट गईं और दीवारों में दरारें आ गईं। राजधानी नेपीताव (Naypyitaw) में भूकंप का असर कम महसूस हुआ, लेकिन लोगों के चेहरों पर डर साफ दिखा।

यह झटका ऐसे समय आया जब म्यांमार में पारंपरिक नववर्ष ‘थिंगयान’ की शुरुआत हो रही थी। हालांकि सार्वजनिक उत्सव पहले ही रद्द कर दिए गए थे, लेकिन अब भूकंप ने त्योहार की सुबह को भी मायूसी में बदल दिया। संयुक्त राष्ट्र पहले ही आगाह कर चुका है कि म्यांमार में आए भूकंप ने देश में पहले से जारी मानवीय संकट को और भयावह बना दिया है। गृहयुद्ध के चलते जहाँ पहले ही 30 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, अब भूकंप ने कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

तेज़ी से बढ़ती टेक्टोनिक गतिविधियां विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। हिमालय से लेकर मध्य एशिया तक के देशों को सतर्क रहने की ज़रूरत है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ये हलचलें किसी बड़े भूगर्भीय परिवर्तन का संकेत हो सकती हैं।