रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया कई तरह प्रभावित हो रही है। युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीयों को अपना बहुत कुछ वहां छोड़ भागना पड़ा था। उम्मीद थी कि युद्ध जल्द समाप्त हो जाएगा, लेकिन वह अब भी जारी है। इस बीच वहां से लौट आए लोगों को तरह-तरह की चिंता सताने लगी है।
मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले डॉक्टर गिदीकुमार पाटिल भी युद्ध शुरू होने के बाद पोलैंड चले गए थे। वह यूक्रेन के जिस अस्पताल में हड्डी संबंधी रोगों का इलाज करते थे, वह युद्ध में तबाह हो गया है। बमबारी के बीच आनन-फानन में पाटिल तो यूक्रेन से तो निकल गए लेकिन उनके पालतू जानवर जगुआर और पैंथर वहीं छूट गए। मेल जगुआर 24 महीने का है और फीमेल ब्लैक पैंथर 14 महीने की है। गिरिकुमार ने दोनों को साल 2020 में यूक्रेन की राजधानी कीव से खरीदा था।
अब पाटिल ने भारत सरकार से अपील की है कि उनके पालतू जानवरों को रेस्क्यू किया जाए। जंगली जानवरों को पालने के अपने शौक के कारण 42 वर्षीय गिदीकुमार पाटिल को ‘जगुआर कुमार’ भी कहा जाता है। कीव स्थित भारतीय दूतावास द्वारा मदद करने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद उन्होंने अब सीधे भारत सरकार से सहायता मांगी है।
अब पाटिल ने भारत सरकार से अपील की है कि उनके पालतू जानवरों को रेस्क्यू किया जाए। जंगली जानवरों को पालने के उनके शौक के कारण 42 वर्षीय गिदीकुमार पाटिल को ‘जगुआर कुमार’ भी कहा जाता है। कीव स्थित भारतीय दूतावास द्वारा मदद करने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद उन्होंने अब सीधे भारत सरकार से सहायता मांगी है।
पोलैंड के वारसा में शरण लिए पाटिल ने पीटीआई को बताया है कि ”मेरा विनम्र निवेदन है कि बिल्लियों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा का तत्काल इंतजाम किया जाए।” भारतीय मूल के गिदीकुमार पाटिल एक यूक्रेनी नागरिक हैं। युद्ध से पहले वह सेवेरोडोनेत्स्क स्थित अस्पताल में काम करते थे।