मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि मौत की सजा पाने वाले 500 और आतंकवादियों को फांसी पर चढ़ाने की पाकिस्तान की योजना ‘‘काफी चिंताजनक’’ है तथा तालिबान के साथ संघर्ष से नागरिकों की रक्षा के मामले में इस कदम से कुछ भी हासिल नहीं होगा।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत उपनिदेशक डेविड ग्रिफिथ्स ने कल कहा, ‘‘फांसी की योजना से सबंधित आंकड़े काफी चिंताजनक हैं और इससे उस सरकार की ओर से व्यापक प्रतिगमन का संकेत मिलता है जो पिछले हफ्ते तक फांसी पर रोक को कायम रखे हुए थी।’’

ग्रिफिथ्स ने कहा कि पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते पेशावर में भीषण त्रासदी देखी, लेकिन मृत्युदंड पर लौटना और सरकार द्वारा सुलझाए जाने के लिए पड़ी समस्याओं को सुलझाने के बजाय बड़ी संख्या में फांसी देने की घोषणा करना हिंसा के जोखिम और मानवाधिकार उल्लंघन के नजरिए से चिंताजनक है।

पाकिस्तान ने कल कहा था कि वह मौत की सजा पाए 500 आतंकवादियों में से कम से कम 55 और आतंकवादियों को फांसी देने की तैयारी कर रहा है जिनकी दया याचिकाएं मृत्युदंड पर वर्ष 2008 की रोक खत्म होने के बाद खारिज हो गई थीं।

पाकिस्तान ने 2012 के बाद गत शुक्रवार को पहली मर्तबा फांसी की सजा को अंजाम दिया जब दो लोगों को मृत्युदंड दिया गया। ये लोग तालिबान के दो अलग-अलग हमलों में दोषी पाए गए थे।

रविवार को चार आतंकवादियों को फांसी दी गई जो पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ पर हमले के दोषी थे। इसके साथ फांसी पर चढ़ाए जाने वाले लोगों की संख्या छह हो गई।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने कल कहा था कि अदालत से मौत की सजा पाए 500 से ज्यादा लोग पेशावर हमले के बाद सरकार द्वारा मौत की सजा से रोक हटाए जाने के बाद फांसी दिए जाने की कतार में हैं।