अमेरिका में आज राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। रविवार (अमेरिका में) तक राष्ट्रीय मतदान औसत में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप पर थोड़ी बढ़त हासिल है। इस सबके बीच यूएसए में चुनाव कार्यालयों ने इलेक्शन ऑफिसर्स को मिलने वाली धमकियों और उन पर हो रहे हमलों के बीच हिंसा की संभावना को देखते हुए सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं।
अधिकारियों ने कई ऑफिसों में डी-एस्केलेशन ट्रेनिंग, एक्टिव-शूटर ड्रिल और बुलेटप्रूफ बैरियर स्थापित किए हैं। कुछ ने कर्मचारियों की प्राइवेसी के लिए अपने सोशल मीडिया प्रोटोकॉल को भी मजबूत किया है। गौरतलब है कि अमेरिकी सीधे तौर पर अपने राष्ट्रपति के लिए वोट नहीं करते हैं। इसके बजाय वे इलेक्टोरल कॉलेज की संरचना निर्धारित करने के लिए मतदान करते हैं, जो राष्ट्रपति का चुनाव करता है।
अमेरिका में कैसे होती है वोटिंग?
अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में मतदान किया जाता है। इस मतदान के जरिए हर राज्य इलेक्टर्स (Slate of Electors) को चुनता है जिन्हें चुनाव से पहले पार्टियों द्वारा चुना जाता है। पूरे अमेरिका के 50 राज्यों से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। जिस भी उम्मीदवार को 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज का वोट मिलता है, उसका राष्ट्रपति बनना तय हो जाता है।
स्विंग स्टेट से डिसाइड होता है अमेरिकी राष्ट्रपति
चुनाव के लिए अमेरिका को तीन तरह के राज्यों में बांटा जाता है। एक रहता है रेड स्टेट जिसे पारंपरिक रूप से रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ माना जाता है। दूसरे ब्लू स्टेट होते हैं जिन्हें डेमोक्रेट्स का गढ़ माना जाता है। वहीं, तीसरे आते हैं स्विंग स्टेट, यह वो राज्य हैं जहां रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स कोई भी जीत सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन स्विंग स्टेट्स पर जिनका कब्जा रहता है राष्ट्रपति की कुर्सी भी उस पार्टी के पास चली जाती है। इस बार के चुनाव की बात करें तो कुल 7 स्विंग स्टेट सामने आए हैं- एरिज़ोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन।
कब आएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे?
मंगलवार रात (5 नवंबर) को अमेरिकी चुनाव 2024 के नतीजों का इंतजार कर रहे लोगों को शायद जल्द ही नतीजे का पता नहीं चलेगा जब तक कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस या रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ज्यादातर राज्यों, खासकर स्विंग स्टेट्स में महत्वपूर्ण जीत हासिल नहीं कर लेते। अगर, जीत का अंतर बड़ा नहीं है और परिणाम सर्वे के अनुरूप हैं (जिनमें से सभी मार्जिन ऑफ एरर के भीतर बढ़त देते हैं) तो रिजल्ट आने में कई दिन या यहां तक कि हफ्ते लग सकते हैं। आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, विवादित स्थानों पर पुनर्गणना भी कराई जाएगी।