अमेरिका में आज हो रहे राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और उनके प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है। इस सबके बीच 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए न्यूयॉर्क शहर की मतदान की भाषा सूची ने उत्सुकता जगा दी है।

एक ऐसे शहर में जहां 200 से ज़्यादा भाषाएं बोली जाती हैं वहां सिर्फ एक भारतीय भाषा ने बैलेट पेपर में अपनी जगह बनाई है और वह हिंदी नहीं है। बंगाली शहर के 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के मतपत्र में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय भाषा है, जो दुनियाभर में और बिग एपल में व्यापक रूप से बोली जाने वाली अन्य भाषाओं में शामिल हो गई है।

न्यूयॉर्क ने अपने मतपत्रों में अंग्रेज़ी के साथ चार अतिरिक्त भाषाओं को शामिल किया है। इनमें से बंगाली एकमात्र भारतीय भाषा है, जो चीनी, स्पेनिश और कोरियाई के साथ बैलट में है। न्यूयॉर्क शहर के चुनाव बोर्ड के कार्यकारी निदेशक माइकल जे रयान ने इन समुदायों की सेवा के प्रयास पर प्रकाश डालने के साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि मतदान की सुलभता प्रतीकात्मकता से कहीं आगे तक फैली हुई है।

बंगाली भाषा को क्यों किया गया शामिल?

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाली भाषा को शामिल करने का प्रतीकात्मक महत्व तो है ही, साथ ही यह कानूनी आवश्यकताओं से भी जुड़ा है। शहर के नियमों के अनुसार कुछ मतदान केंद्रों पर बंगाली वोटिंग मैटेरियल उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसका मकसद यह है ताकि बंगाली भाषी नागरिकों की मतदान से जुड़ी आवश्यक जानकारी और विकल्पों तक पूरी पहुंच हो।

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हिंदी हालांकि सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भारतीय भाषा है लेकिन न्यूयॉर्क में बंगाली बोलने वाली बड़ी आबादी रहती है जिसमें भारत और बांग्लादेश दोनों के निवासी शामिल हैं। राष्ट्रपति पद के लिए बंगाली को पहली बार 2013 में क्वींस में शामिल किया गया था। 1965 के मतदान अधिकार अधिनियम के तहत संघीय निर्देश के लगभग दो साल बाद दक्षिण एशियाई अल्पसंख्यक समूहों के लिए भाषा सहायता अनिवार्य कर दी गई थी।

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के लिए हो रहे इस चुनाव को कई दशक में सबसे महत्वपूर्ण चुनावी दौड़ बता रहे हैं। अपने चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम दिनों में उपराष्ट्रपति हैरिस ने आशा, एकता, आशावाद और महिला अधिकारों के संदेश पर ध्यान केंद्रित किया जबकि ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी की अपनी प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधने में उग्र रहे। उन्होंने यहां तक ​​​​कहा कि हार की स्थिति में वह चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।