द्विपक्षीय व्यापार को लेकर अभी तल्खी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुई थी कि अमेरिका ने एक बार फिर से ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन के साथ तकरार और बढ़ने की आशंका प्रबल हो गई है। दरअसल, अमेरिका ने तिब्बत को लेकर रेसीप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत नामक एक नया कानून पारित किया है। इसके तहत अब अमेरिकी राजनयिक, अधिकारी, पत्रकार और आमलोग बेरोकटोक तिब्बत जा सकेंगे। चीन ने अमेरिका के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। चीन ने कहा कि तिब्बत उसका आंतरिक मामला है, ऐसे में वह अमेरिका के इस कदम का कड़ा विरोध करता है। बीजिंग तिब्बत में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देगा। बता दें कि तिब्बत में विरोध को शांत करने के लिए चीन बेहद सख्त कदम उठाता रहा है। मानवाधिकार संगठन भी इसको लेकर कई बार सवाल उठा चुके हैं। इसके बावजूद चीन ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर चुके हैं हस्ताक्षर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तिब्बत से जुड़े कानून पर 19 दिसंबर को ही हस्ताक्षर कर चुके हैं। इसमें तिब्बत में प्रवेश को प्रोत्साहित करने का भी प्रावधान किया गया है। साथ ही कहा गया है कि तिब्बत में अमेरिकी प्रतिनिधि या नागरिकों को प्रवेश नहीं दिया जाता है तो इसके लिए चीन को ही जिम्मेदार माना जाएगा। चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीनी विदेश मंत्रालय हुआ चुनइंग ने गुरुवार (20 दिसंबर) को कहा कि इस कानून के अमल में आने से अमेरिका और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचेगा। बता दें कि अमेरिका और चीन कई मुद्दों पर आमने-सामने है। इनमें द्विपक्षीय व्यापार घाटा और दक्षिण चीन सागर में बीजिंग का आक्रामक रुख प्रमुख है। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों में तल्खी कम होने के बजाय और बढ़ गई है। ट्रंप सरकार ने दक्षिण चीन सागर के साथ ही व्यापार घाटे को लेकर भी सख्त रुख अपना लिया है। अमेरिका लगातार चीन पर इस बात को लेकर दबाव डाल रहा है कि वह व्यापार घाटे को कम कर उसे संतुलित करे। वाशिंगटन ने इसको लेकर चीन पर कई तरह के टैरिफ भी लगा दिए हैं।