अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ अन्य देशों ने शनिवार को यमन में हूती विद्रोहियों के 18 ठिकानों पर जोरदार हमले किए। ईरान समर्थित स्थानीय लड़ाकों के लाल सागर और अदन की खाड़ी में पोतों पर हाल में बढ़ते हमलों के जवाब में ये हमले किए गए हैं। हूती विद्रोहियों ने पिछले सप्ताह एक मिसाइल हमला किया था जिसके कारण एक मालवाहक पोत में आग लग गई थी। अमेरिकी अधिकारियों ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि अमेरिका और ब्रिटेन के लड़ाकू विमानों ने मिसाइल, लॉन्चर, रॉकेट, ड्रोन और हवाई रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाते हुए आठ स्थानों पर हमले किए।

दोनों देशों की सेनाएं चला रही हैं संयुक्त अभियान

यह चौथी बार है जब अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने 12 जनवरी के बाद से हूती विद्रोहियों के खिलाफ एक संयुक्त अभियान चलाया है। अमेरिका इसके अलावा भी हूती विद्रोहियों पर लगभग रोजाना हमले कर रहा हैं। अधिकारियों ने बताया कि ‘यूएस एफ/ए-18’ लड़ाकू विमानों को यूएसएस ड्वाइट डी. आइजनहॉवर विमानवाहक पोत से प्रक्षेपित किया गया। यह पोत इस समय लाल सागर में है।

आगे भी ऐसे हमले जारी रखने की दी चेतावनी

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा, ‘‘अमेरिका दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में शामिल लाल सागर में जीवन और वाणिज्य के मुक्त प्रवाह की रक्षा के लिए आवश्यकतानुसार कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा। हम हूती विद्रोहियों को यह स्पष्ट करते रहेंगे कि यदि उन्होंने अपने अनुचित हमले बंद नहीं किए तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।’’

अमेरिका ने कहा कि हूती आतंकी मालवाहक जहाजों पर हमला कर रहे थे। यमन को दी जा रही मानवीय मदद भी रोकने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए हमने उन पर हमला किया। ब्रिटिश और अमेरिकी फौजों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड की फोर्स ने भी इस हमले में सहयोग दिया।

हूती विद्रोहियों ने ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन की आक्रामकता’’ की निंदा की और इसके जवाब में सैन्य अभियान चलाते रहने का संकल्प लिया। अमेरिका, ब्रिटेन और उनके अन्य सहयोगियों ने एक बयान में कहा, ‘‘यमन में आठ स्थानों पर विशेष रूप से हूती विद्रोहियों के 18 ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया।’’

हूती यमन का एक शिया मिलिशिया ग्रुप है। इस विद्रोही समूह का गठन 1990 में हुसैन अल हूती ने किया था। हूतियों ने यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उनके शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। वे खुद को ‘अंसार अल्लाह’ यानी ईश्वर के साथी भी बताते हैं।