अमेरिका और पाकिस्तान का संबंध पटरी पर आने के बजाय लगातार बिगड़ता ही जा रहा है। ट्रंप सरकार ने परमाणु व्यापार में शामिल होने के संदेह में पाकिस्तान की सात कंपनियों को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है। अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने के अभियान झटका लगेगा। अमेरिका के ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी ने संदिग्ध पाकिस्तानी कंपनियों को 22 मार्च को ही प्रतिबंधित सूची (एंटिटी लिस्ट) में डालने की घोषणा की थी। ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘अमेरिकी सरकार ने पाया कि ये कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े अमेरिकी हितों के खिलाफ काम कर रही हैं।’ एंटिटी लिस्ट में डाली गई कंपनियों की संपत्तियों को फ्रीज या जब्त नहीं किया जाता है, लेकिन ऐसी कंपनियों के साथ काम करने से पहले लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है। खासकर अमेरिका के साथ किसी भी तरह का व्यवसाय करने से पहले इन कंपनियों को विशेष तौर पर लाइसेंस लेना होगा। अमेरिका ने कुल 23 कंपनियों को प्रतिबंधित सूची में डाला है। ये सब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पूर्व मंजूरी के बिना हिस्सा नहीं ले सकेंगी।
सिंगापुर की कंपनी से संबंध: सिंगापुर की एक कंपनी का इन पाकिस्तानी कंपनियों से संबंध होने की बात सामने आई है। अमेरिकी ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर स्थित मुश्को लॉजिस्टिक्स और पाकिस्तान की मुश्को इलेक्ट्रॉनिक्स के बीच पाकिस्तानी कंपनियों के लिए उपकरण खरीदने की बात सामने आई है। इनमें से कई कंपनियां प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं। ‘रॉयटर’ के अनुसार, सॉल्यूशंस इंजीनियरिंग नामक दूसरी कंपनी ने पहले से ही एंटिटी लिस्ट में शामिल पाकिस्तानी कंपनियों के लिए अमेरिकी परमाणु उपकरण खरीदे हैं।
पाकिस्तान के मंसूबों को झटका: भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए व्यापक अभियान चलाए हुए है। नई दिल्ली ने इसको लेकर वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक अभियान चलाया है। इसे देखते हुए पाकिस्तान भी चीन की मदद से इसका सदस्य बनने की जुगत में है। लेकिन, अमेरिका के इस कदम से इस्लामाबाद के मंसबूों को तगड़ा झटका लगा है।
परमाणु प्रसार में संलिप्त रहा है पाकिस्तान: पाकिस्तान का परमाणु तकनीक के प्रसार में पहले भी नाम आ चुका है। इस्लामाबाद पर उत्तर कोरिया को तकनीक बेचने का आरोप लग चुका है। पाकिस्तानी परमाणु तकनीक के जनक कहे जाने वाले डॉक्टर अब्दुल कदीर खान ने कई देशों को चोरी-छिपे परमाणु तकनीक बेचा था। मामला सामने आने के बाद उन्हें हिरासत में भी लिया गया था। हालांकि, पाकिस्तान शुरुआत से ही इन आरोपों को नकारता रहा है।