यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से चीन अमेरिका पर भड़का हुआ है। वहीं अब चीन ने यूरोपीय देशों को भी आँख दिखाई है। दरअसल जी-7 देशों ने चीन के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की थी। जी-7 देशों ने एक बयान जारी कर कहा था कि ताइवान की खाड़ी में जिस तरह से आक्रामक सैन्य गतिविधि चल रही है, उसे सही नहीं कहा जा सकता।

जी-7 देशों ने अपने बयान में कहा, “हमारे सांसदों का दुनिया के किसी भी इलााके में दौरा करना रूटीन प्रक्रिया है। चीन के रवैये ने तनाव पैदा कर दिया है और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की गई है।” जिन जी-7 देशों की ओर से जो बयान जारी किया गया है, उसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अलावा कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और यूके के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधि की ओर से भी इस पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

वहीं अब चाइना ने जी-7 देशों का समन किया है और अपना विरोध दर्ज कराया है। चीन ने कहा कि उसने सात देशों के समूह और यूरोपीय संघ द्वारा ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभ्यास की धमकी की आलोचना करने वाले बयानों का विरोध करने के लिए देश में यूरोपीय राजनयिकों को बुलाया और अपना विरोध दर्ज कराया। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे उसके निजी मामले में हस्तक्षेप बताया।

एक पश्चिमी देश के अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने शुक्रवार को शीर्ष राजनयिकों की एक एशियाई बैठक में कहा कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से उत्तेजक थी। नैंसी पेलोसी 2 अगस्त को ताइवान पहुंची थीं।

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने बताया कि कंबोडिया में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में बोलते हुए ब्लिंकन ने कहा कि चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य में अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू करने के बाद न केवल ताइवान, बल्कि पड़ोसियों को भी डराने की कोशिश की है।

ताइवान के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि लगभग 10 चीनी नौसेना के जहाजों और 20 सैन्य विमानों ने शुक्रवार सुबह ताइवान स्ट्रेट मध्य रेखा को पार किया है।