कैनबरा। रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करने की इच्छा के साथ भारत और आस्ट्रेलिया ने आज एक सुरक्षा सहयोग तंत्र स्थापित किया और साथ ही अगले साल के अंत तक बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते को संपन्न करने का फैसला किया।
इसके साथ ही दोनों देशों ने असैन्य परमाणु करार जल्द ही संपन्न करने का फैसला किया। इससे यूरेनियम कारोबार को मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके आस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबट ने बातचीत की और सुरक्षा सहयोग संबंधी तंत्र की स्थापना का फैसला किया जो क्षेत्रीय शांति बढ़ाने और आतंकवाद से निपटने समेत अन्य चुनौतियां से निपटने की दिशा में आगे बढ़ने एवं सुरक्षा और रक्षा सहयोग के गहरा और विस्तारित होने का परिचायक है ।
एबट की पहली भारत यात्रा के बस दो महीने बाद ही यहां प्रधानमंत्री कार्यालय में शिखर वार्ता के बाद दोनों देशों ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो सामाजिक सुरक्षा, सजायाफ्ता कैदियों को भेजने, मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने, पर्यटन, कला तथा संस्कृति से संबंधित हैं ।
मोदी ने एबट के साथ एक साझे संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ यह स्वाभाविक साझेदारी है जो हमारे साझा मूल्यों और हितों और हमारी रणनीतिक नौवहन स्थितियों से उपजी है ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने, आतंकवाद तथा अंतर-देशीय अपराधों से निपटने में भारत-आस्ट्रेलिया की नयी भागीदारी में सुरक्षा और रक्षा महत्वपूर्ण तथा विस्तार पाते क्षेत्र हैं ।’’
संसद को संबोधित करते हुए एबट ने कहा, ‘‘ यदि सब कुछ ठीक रहा तो आस्ट्रेलिया उचित सुरक्षा मानकों के तहत भारत को यूरेनियम का निर्यात करेगा क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा एक ऐसा महत्वपूर्ण योगदान है जो आस्ट्रेलिया व्यापक विश्व को कर सकता है । हम भारत के लिए उर्च्च्जा, खाद्य सुरक्षा तथा भारत की सुरक्षा का का भरोसेमंद स्रोत बनना चाहते हैं ।’’
एबट ने यह भी कहा कि ‘‘अगले साल के अंत तक हमारा विश्व के सर्वाधिक बड़े बाजार के साथ एक मुक्त कारोबार समझौता होगा।’’
मोदी ने कहा कि दुनिया आस्ट्रेलिया को एशिया प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के हृदयस्थल के रूप में देखती है और भारत तरक्की और समृद्धि की अपनी खोज में उसे एक ‘‘महत्वपूर्ण सहयोगी’’ के रूप में देखता है ।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता के प्रत्येक क्षेत्र में आस्ट्रेलिया को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखता हूं ।’’
1986 में राजीव गांधी के बाद आस्ट्रेलिया की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आस्ट्रेलिया भारत की दृष्टि की परिधि पर नहीं बल्कि ‘‘विचारों के केंद्र ’’ में होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकतंत्र के आदर्शो से बंधे हुए हंै।’’
आस्ट्रेलिया-भारत संबंधों के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ भारत और आस्ट्रेलिया में बड़ी आर्थिक समरसता है ।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हमारी सोच के प्रत्येक क्षेत्र में साझेदारी की व्यापक संभावनाएं हैं जिनमें कृषि, कृषि प्रसंस्करण, संसाधन, ऊर्जा, वित्त, ढांचागत विकास, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक शामिल है ।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में आर्थिक माहौल बदल चुका है । उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि अवसरों को ठोस परिणामों में बदलना काफी आसान होगा।’’
उन्होंने यह भी एलान किया कि भारत वर्ष 2015 में आस्ट्रेलिया में ‘मेक इन इंडिया’ जबकि आस्ट्रेलिया अगले साल जनवरी में भारत में बिजनेस वीक का आयोजन करेगा।
मोदी ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री एबट और मैंने इस बात पर चर्चा की कि हमें अपनी आर्थिक भागीदारी को असली गति देने के लिए क्या करना चाहिए। सीईओ फोरम का पुनर्गठन एक महत्पूर्ण कदम है ।’’
मोदी ने कहा, ‘‘ हमने समग्र आर्थिक भागीदारी समझौते पर वार्ता को गति देने पर भी सहमति जतायी है । मैंने आस्ट्रेलियाई बाजार तक भारतीय व्यापार की सुगम पहुंच और त्वरित निवेश मंजूरी के लिए कहा है ।’’
आस्ट्रेलिया का भारत के साथ दोतरफा कारोबार सालाना 15 अरब डालर का है जबकि चीन के साथ आस्ट्रेलिया का कारोबार 150 अरब डालर का है ।
मोदी ने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया कई ऐसे संस्थाओं के सदस्य हैं जिनकी क्षेत्र और विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका है और दोनों देशों को वैश्विक मंचों पर अधिक घनिष्ठता के साथ काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बीते दौर की एक तरह से उधार ली हुई व्यवस्था पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। न ही दोनों के पास यह तय करने की सुविधा है कि ‘‘हमें किसके साथ काम करना है और किसके नहीं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन हमें एकसाथ और दूसरे लोगों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि एक ऐसा माहौल और संस्कृति बनाई जा सके, जो सह-अस्तित्व एवं सहयोग के मूल्यों को प्रोत्साहित करती हो। जिसके तहत छोटे-बड़े सभी देश अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हों, फिर चाहे उनके बीच कितने ही कटु विवाद क्यों न हों।’’