अपने प्रेमी के साथ जीवन गुजारने का फैसला करने वाली एक अफगानी महिला की हत्या पत्थरों से मार-मारकर कर दी गई। इस महिला का निकाह इसकी मर्जी के खिलाफ किसी और शख्स से कर दिया गया था, पर उसने अपने प्रेमी के साथ रहने का फैसला किया और उसके साथ भाग निकली। हत्या की इस पूरी वारदात का रेकार्डिड ग्राफिक वीडियो वायरल हुआ है।
स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि वीडियो में दिखाया गया है कि जमीन में गड्ढा खोदकर उसमें गर्दन तक गाड़ दी गई महिला को पत्थर मारे जा रहे हैं। लोग भद्दी आवाजों के साथ उस पर पत्थर बरसा रहे हैं। हत्या की यह वारदात एक सप्ताह पहले फीरोजकोह की राजधानी घोर से करीब 40 किलोमीटर दूर घालमीन इलाके में हुई। गवर्नर सीमा जोयेन्दा ने यह जानकारी दी।
जोयेन्दा ने बताया कि रुखसाना की हत्या तालिबान, स्थानीय धार्मिक नेताओं और हथियारबंद कबीलाई लोगों ने पत्थर मार-मारकर कर दी। अधिकारियों ने इस महिला का नाम केवल रुखसाना बताया है जिसकी उम्र 19 से 21 साल के बीच है। वायरल हुए वीडियो में दिख रहा है कि पत्थर मारे जाने के दौरान महिला लगातार शहादा (कलमा) पढ़ रही थी और अंतिम 30 सेकेंड में उसकी आवाज बेहद तेज हो गई थी।
स्थानीय प्रशासन ने अफगान मीडिया में आए इस वीडियो फुटेज की पुष्टि की है जो फेसबुक पर भी वायरल हो चुका है। प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता ने बताया, ‘मीडिया में दिखाई गई फुटेज रुखसाना की है जिसकी हत्या पत्थर मार-मारकर कर दी गई’।
’रुखसाना नाम की इस युवा ने अपनी मर्जी के खिलाफ हुए निकाह को नकारते हुए हमउम्र प्रेमी के साथ जीवन गुजारने का फैसला किया था। ’पर उसकी नृशंस हत्या तालिबान, स्थानीय धार्मिक नेताओं और हथियारबंद कबीलाई लोगों ने पत्थर मार-मारकर कर दी। ’यह वारदात एक हफ्ते पहले फीरोजकोह की राजधानी घोर से करीब 40 किलोमीटर दूर घालमीन इलाके में हुई।
अफगानिस्तान के केवल दो महिला गवर्नरों में से एक जोयेन्दा ने कहा कि प्रशासन की सूचना के अनुसार, रुखसाना के परिवार ने उसका निकाह उसकी मर्जी के खिलाफ किसी से किया था और वह अपनी उम्र के किसी दूसरे व्यक्ति के साथ भाग गई थी। गवर्नर ने इस घटना की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘इस इलाके में इस तरह की पहली वारदात है, लेकिन यह यहीं पर नहीं रुकेगी। महिलाओं को आमतौर पर देशभर में समस्याएं झेलनी पड़ती हैं, लेकिन खासतौर से घोर में। जिस आदमी के साथ वह भागी थी उसे पत्थर नहीं मारे गए’।
विवाहेतर संबंध बनाने वाले पुरुष और महिला को शरिया कानून पत्थर मार-मारकर मौत के घाट उतारे जाने की बात कहता है, पर मुस्लिम देशों में इस सजा को बिरले ही अमल में लाया जाता है। 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान इस तरह की सजा दिया जाना आम बात थी।
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