भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को रोकने के लिए डैम बनाने की तैयारी कर रहा है। तालिबान सरकार के आर्मी जनरल मुबीन ने तालिबान सरकार से कुनार नदी पर डैम बनाने के लिए धन जुटाने की अपील की। अफगानिस्तान के मंत्री ने हाल ही में कहा था कि उनका देश कुनार नदी पर भी बांध बनाएगा।

कार्यवाहक ऊर्जा और जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने अफगानिस्तान में बांधों के निर्माण के बारे में बात करते हुए कहा था कि पानी अफगानिस्ता न का अधिकार है और अगर संसाधन उपलब्ध हैं तो कुनार नदी पर भी बांध बनाया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान के वॉटर मैनेजमेंट से किसी भी देश को नुकसान नहीं होगा और कहा कि अगर किसी देश को आपत्ति है तो कूटनीतिक बातचीत का दरवाजा खुला है।

कुनार नदी पर बांध बनाने पर क्या बोला अफगानिस्तान?

टोलो न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में मंसूर ने कहा था, “स्टडी से पता चलता है कि अगर हम कुनार नदी पर 1,000 मेगावाट बिजली पैदा करने में सक्षम बांध बनाते हैं तो इसके लिए 2 से 3 बिलियन डॉलर के बीच की फंडिंग की आवश्यकता होगी।” मंसूर ने कहा, “अगर हमें संसाधन मिलते हैं तो हम अपने लोगों की सेवा के लिए अपने पानी का इस्तेमाल करेंगे। चाहे कोई खुश हो या नाखुश, हम आगे बढ़ेंगे। अगर कोई दावा करता है कि उसके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है तो कूटनीतिक चैनल उपलब्ध हैं, वे आकर बात कर सकते हैं।”

वहीं, जनरल मुबीन ने कहा था, “यह पानी हमारा खून है और हम अपने खून को अपनी नसों से नहीं बहने दे सकते। हमें अपने पानी को रोकना होगा। इससे हमारी बिजली की जरूरतें पूरी होंगी और हम अपनी खेती में इस्तेमाल करके पैदावार बढ़ाएंगे।

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चित्राल नदी, जिसे अफ़गानिस्तान में कुनार नदी के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी पाकिस्तान और पूर्वी अफ़गानिस्तान में 480 किलोमीटर लंबी नदी है। यह पाकिस्तान में गिलगित बाल्टिस्तान और चित्राल की सीमा पर स्थित चियांटार ग्लेशियर से निकलती है। अरंडू में यह अफ़गानिस्तान में प्रवेश करती है, जहां इसे कुनार नदी कहा जाता है। बाद में यह अफ़गानिस्तान के नंगहार प्रांत में काबुल नदी में मिल जाती है। कुनार नदी काबुल नदी की एक प्रमुख सहायक नदी के रूप में कार्य करती है।

पाकिस्तान की आपत्ति

कुनार नदी पाकिस्तान का एक अहम जल स्रोत है। पाकिस्तान पहले भी अफगानिस्तान की डैम परियोजनाओं पर चिंता जता चुका है, क्योंकि इससे उसके इलाके में आने वाली जल की आपूर्ति कम हो सकती है। दरअसल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच काबुल नदी और इसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक द्विपक्षीय समझौता नहीं है। पाकिस्तान मीडिया के मुताबिक कुनार नदी पर बांध बनने से काबुल नदी के जल प्रवाह में 16-17% तक की कमी आ सकती है। इससे पाकिस्तान की खेती और जल आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ेगा।

इससे पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय में जल और ऊर्जा पर विशेष सहायक इकरामुद्दीन कामिल ने साल 2022 में थर्ड पोल को बताया था, पाकिस्तान के पास काबुल नदी के अपने हिस्से पर पहले से ही कई बैराज, सिंचाई नहरें और अन्य बुनियादी ढाँचे हैं और उनका तर्क है कि अगर अफगानिस्तान इसी तरह की संरचनाएं बनाता है तो उन्हें पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा।

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पाकिस्तान-अफगानिस्तान में तनाव

कामिल ने उस दौरान कहा था, “काबुल नदी बेसिन पर किसी भी तरह के निर्माण ने हमेशा पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बनाया है। काबुल भविष्य में संयुक्त जलविद्युत परियोजनाएं शुरू कर सकता है जिसके तहत अफगानिस्तान पाकिस्तान को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराएगा और बदले में ट्रांजिट ट्रेड और सर्विस समझौते हासिल करेगा।”

शहतूत डैम प्रोजेक्ट में अफगानिस्तान की मदद करेगा भारत

वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की चिंताओं को और बढ़ाते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 मई को तालिबान के विदेश मंत्री से फोन पर बात की थी। इस दौरान भारत ने काबुल नदी पर शहतूत डैम प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। भारत और अफगानिस्तान ने फरवरी 2021 में शहतूत बांध के लिए एक समझौता किया था। शहतूत डैम एक हाइड्रोपावर और इरिगेशन प्रोजेक्ट है। इसके लिए भारत 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दे रहा है। यह प्रोजेक्ट 3 साल में पूरा होगा और 4 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करेगा, साथ ही 2 मिलियन लोगों को पीने का पानी देगा।

शहतूत बांध का काबुल नदी पर स्थान जो अफ़गानिस्तान के हिंदू कुश पहाड़ों से निकलने वाला एक महत्वपूर्ण जलमार्ग और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बहने वाला जलमार्ग है, यह पाकिस्तान के लिए एक सीधी चुनौती है। सिंधु जल बेसिन के हिस्से के रूप में, काबुल नदी पाकिस्तान के लिए एक जीवन रेखा है और शहतूत बांध नीचे की ओर पानी के प्रवाह को काफी कम कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है। भारत और अफ़गानिस्तान दोनों ने फरवरी 2021 में लालंदर (शहतूत बांध) परियोजना के निर्माण के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किए थे। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स