पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पाकतिका प्रांत में हवाई हमले किए, जिनके बारे में उसका दावा था कि ये हमले आतंकी ठिकानों पर किए गए। हालांकि, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इन हमलों को कायरतापूर्ण बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने पाकिस्तान को गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।

मुत्ताकी ने कहा, “हम इन कायराना हमलों को कभी नहीं भूलेंगे”

मुत्ताकी ने पाकिस्तान के हमलों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “हम इन कायराना हमलों को कभी नहीं भूलेंगे और इनका बदला जरूर लेंगे।” उन्होंने सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर कब्जे की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि पाकिस्तान को इतिहास से सबक लेना चाहिए। “रूस, ब्रिटेन और नाटो जैसे शक्तिशाली देशों ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश की थी, लेकिन वे सभी असफल रहे। पाकिस्तान को भी यही सीखना चाहिए।”

मुत्ताकी ने पाकिस्तान के हमलों को गैर-इंसानी करार देते हुए कहा, “बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की हत्या करना बहादुरी नहीं है। यह कायरता है।” उन्होंने वजीरिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के लोग भी पाकिस्तान की नीतियों के कारण बेघर हो गए हैं। तालिबान के डिप्टी प्रधानमंत्री मावलावी अब्दुल कबीर ने काबुल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कहा कि उनकी सरकार ने अफगान जमीन से किसी भी उग्रवादी समूह को ऑपरेशन करने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। इन आरोपों से सिर्फ नुकसान होगा।”

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संयुक्त राष्ट्र ने भी पाकिस्तान के हमलों की आलोचना की है। उसकी रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों में दर्जनों महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे मारे गए हैं। हवाई हमलों से कुछ इलाकों में बड़ा नुकसान हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवीय संकट करार दिया है और कहा है कि इन हमलों से अफगानिस्तान में और अस्थिरता बढ़ सकती है। पाकिस्तान का आरोप है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सक्रिय आतंकियों को अफगानिस्तान से समर्थन मिलता रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि यह समर्थन बंद होना चाहिए, क्योंकि इससे उसके देश की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। दूसरी ओर, खैबर के पश्तूनों का एक वर्ग सीमा खुली रखने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि सीमा के दोनों ओर उनके रिश्तेदार रहते हैं और उनकी संस्कृति भी एक है।

अफगानिस्तान के एक राजनीतिक विश्लेषक ने पाकिस्तान के हमलों की आलोचना करते हुए कहा, “यह हमला दर्शाता है कि न पाकिस्तान को इस्लामिक सिद्धांतों की परवाह है और न ही वह कूटनीतिक मामलों को महत्व देता है।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि ऐसे हमले क्षेत्रीय स्थिरता को और कमजोर करेंगे।

अब तक यह साफ नहीं है कि तालिबान इस हमले का जवाब कैसे देगा, लेकिन उनके नेताओं ने बदले की बात कही है। स्थिति बेहद संवेदनशील है और यह संघर्ष दोनों देशों के रिश्तों को और खराब कर सकता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह ताजा तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है। पाकिस्तान का यह दावा कि उसके हमले आतंकी ठिकानों पर थे, संयुक्त राष्ट्र और तालिबान के दावों से मेल नहीं खाता। आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या रूप लेगा, यह देखना अहम होगा। फिलहाल, इस तनाव ने आम नागरिकों की जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाया है, जो चिंता का बड़ा विषय है।