अफगानिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान ने उसके एयर स्पेस का उल्लंघन किया है और बॉर्डर के नजदीक गोलीबारी की है। अफगानिस्तान में हुकूमत चला रहे तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह कार्रवाई भड़काने वाली और हिंसक है। हम अफगानिस्तान के एयर स्पेस के उल्लंघन की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और अपने क्षेत्र की रक्षा करना हमारा अधिकार है। 

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान ने दोनों देशों की सीमा के नजदीक एक बाजार में बम बरसाए हैं। 

गुरुवार रात को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के नजदीक दो जोरदार धमाके हुए। इस वजह से लोगों में अफरा-तफरी फैल गई। यह धमाके अफगानिस्तान के स्थानीय समय के मुताबिक रात को 9:50 पर हुए। धमाकों के बाद लोगों को जान बचाने के लिए आसपास की सुरक्षित जगहों पर भागना पड़ा। 

चार साल बाद काबुल में खुलेगा भारतीय दूतावास

अफगानिस्तान में यह धमाके ऐसे वक्त पर हुए जब उसके विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आए हुए हैं। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना ने कहा है कि उसने 30 आतंकवादियों को मार गिराया और यह सभी पाकिस्तान की सेना के जवानों की हत्या में शामिल थे। 

दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ेगा तनाव?

अब जब अफगानिस्तान ने खुद ही कह दिया है कि पाकिस्तान ने उसकी सीमा के नजदीक गोलीबारी की है और उसके एयर स्पेस का उल्लंघन किया है तो दोनों देशों के बीच के रिश्तों में तनाव का बढ़ना तय माना जा रहा है। 

पाकिस्तान बार-बार आरोप लगाता है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी के आतंकियों द्वारा पाकिस्तान में धमाके करने के लिए किया जा रहा है और इसमें पाकिस्तान की सेना के जवानों सहित बड़ी संख्या में आम लोग मारे जा चुके हैं जबकि अफगानिस्तान ने इस तरह के तमाम आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है। 

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अफगानों के साहस की परीक्षा ना लें- मुत्ताकी 

भारत के दौरे पर पहुंचे अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी ने कहा, “सीमा के पास सुदूर इलाकों में हमला हुआ है। हम पाकिस्तान की इस हरकत को गलत मानते हैं। समस्याओं का समाधान ऐसे नहीं हो सकता… हमने बातचीत का दरवाजा खुला रखा है। उन्हें अपनी समस्या खुद सुलझानी चाहिए। अफगानिस्तान में 40 साल बाद शांति और प्रगति हुई है। इससे किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए… हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं। अगर हमारे यहां शांति है तो लोग परेशान क्यों हैं।” 

“अफगानों के साहस की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। अगर कोई ऐसा करना चाहता है, तो उसे सोवियत संघ, अमेरिका और नाटो से पूछना चाहिए ताकि वे समझा सकें कि अफगानिस्तान के साथ खेलना ठीक नहीं है।”