बांग्लादेश में 6 महीने के भीतर हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों को लेकर हमले की कम से कम 71 घटनाएं हुई हैं। यह बात Human Rights Congress for Bangladesh Minorities (HRCBM) की ताजा रिपोर्ट से सामने आई है। बांग्लादेश में बीते साल शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद से ही हिंदुओं पर लगातार हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं।
हाल ही में शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भी एक बार फिर हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई हैं।
HRCBM की रिपोर्ट कहती है कि ईशनिंदा की यह घटनाएं बांग्लादेश के रंगपुर, चांदपुर, चटोग्राम, दिनाजपुर, लालमोनिरहाट, सुनामगंज, खुलना, कोमिला, गाजीपुर, तंगेल और सिलहट सहित 30 से अधिक जिलों में हुई हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह घटनाएं बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालत के बारे में बताती हैं।
‘बांग्लादेश में हिंदू मर रहे इसलिए नरसंहार बता रहे, भारत में तो…’
रिपोर्ट के मुताबिक, 19 जून, 2025 को पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में तमाल बैद्य (22) को अगलझारा, बारीसाल में गिरफ्तार किया गया। इसके तीन दिन बाद इसी तरह के आरोपों को लेकर शांतो सूत्रधार (24) को मतलाब, चांदपुर में विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा।
27 जुलाई को रंजन रॉय (17) को रंगपुर में गिरफ्तार किया गया। रंजन रॉय की गिरफ्तारी के बाद 22 हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई।
रिपोर्ट में जून 2025 से दिसंबर 2025 के बीच हुई 71 अलग-अलग घटनाओं के बारे में बताया गया है। इन घटनाओं में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और एफआईआर, भीड़ द्वारा मारपीट, हिंदू घरों में तोड़फोड़, शिक्षण संस्थानों से निलंबन और निष्कासन, भीड़ के हमलों के बाद हुई मौतें शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नामजद आरोपियों में से 90% से अधिक हिंदू हैं, जिनमें 15 से 17 साल की उम्र के नाबालिग भी शामिल हैं।
बांग्लादेश में एक और हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई मामले फेसबुक पोस्ट को लेकर शुरू हुई और इनमें से भी कई मामले झूठे निकले या कई पोस्ट फेसबुक अकाउंट हैक करके की गईं। कुछ मामलों में बिना किसी जांच के और केवल मौखिक आरोपों के आधार पर ही कार्रवाई कर दी गई जबकि कई मामलों में जांच से पहले ही भीड़ के दबाव में लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस रिपोर्ट में कई घातक घटनाओं का जिक्र है। जैसे हाल ही में दीपू चंद्र दास को भीड़ पीट-पीट कर मार डाला और फिर उसके शव को जला दिया। दीपू चंद दास पर आरोप था कि उसने ईशनिंदा की थी। इसके अलावा सितंबर 2024 में उत्सव मंडल पर पुलिस की मौजूदगी में बेरहमी से हमला किया गया था।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ऐसा एक तय पैटर्न के तहत किया जा रहा है। भारत की ओर से भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की लगभग 2900 घटनाएं हुई हैं।
बांग्लादेश में पत्थरबाजी के बाद जेम्स का कॉन्सर्ट रद्द, स्कूल में कट्टरपंथियों का हंगामा
