पीएम नरेंद्र मोदी ने 13वें ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान संकट के लिए अमेरिकी सेनाओं के हटने को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि अभी भी यह साफ नहीं है कि इससे रीजनल और ग्लोबल सिक्योरिटी पर क्या असर पड़ेगा। यह अच्छी बात है कि ब्रिक्स देशों ने इस पर फोकस किया है।
13वीं ब्रिक्स समिट का इस बार भारत आयोजक है। मोदी ने इसकी अध्यक्षता की। समिट में ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा शामिल हुए। मोदी दूसरी बार ब्रिक्स समिट की अध्यक्षता कर रहे हैं। इससे पहले वे 2016 में गोवा में हुई ब्रिक्स समिट की अध्यक्षता कर चुके हैं।
ब्रिक्स पांच देशों ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका का एक ग्रुप है। इसका मकसद पश्चिम के दबदबे का मुकाबला करना है। ब्रिक्स ने अपना खुद का बैंक बनाया है। यह 2011 में बना था। इसमें शामिल सारे देश अमेरिका के धुर विरोधी रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के राजनीतिक व आर्थिक एकाधिकार को खत्म करने के लिए इसका जन्म हुआ था।
मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत को सभी ब्रिक्स पार्टनर्स से भरपूर सहयोग मिला है। ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की प्रभावकारी आवाज हैं। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान देने के लिए ये मंच उपयोगी हो रहा है। मोदी ने कहा कि ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक, एनर्जी रिसर्च कॉर्पोरेशन जैसे प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं। हमें ये सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 सालों के लिए उपयोगी हो।
चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग ने कहा कि ब्रिक्स ने पिछले 15 साल में राजनीतिक विश्वास बढ़ाया है। हमने एक-दूसरे से बातचीत का मजबूत रास्ता निकाला। हमने कई क्षेत्रों में प्रगति की है। हम अपने साझा विकास की यात्रा साथ-साथ कर रहे हैं। जिनपिंग ने कहा- इस साल की शुरुआत से हमारे सहयोगी देश महामारी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। हम मिलकर ब्रिक्स के भविष्य को मजबूत करेंगे।