अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की सुरक्षित वापसी के लिए 1,000 और सैनिकों को भेजा है। अमेरिका ने यह मंजूरी ऐसे समय में दी है जब तालिबान अफगानिस्तान का नियंत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में फिर से लेने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उधर, अफगान सेना के एक अधिकारी ने बताया कि तालिबान वार्ताकार सत्ता ‘हस्तांतरण’ की तैयारी के लिए राष्ट्रपति भवन जा रहे हैं।
अमेरिका के एक अधिकारी ने बताया कि बाइडन ने शनिवार को अपने बयान में कुल 5,000 जवानों की तैनाती को मंजूरी दी, जिसमें वे 1,000 सैनिक भी शामिल हैं, जो पहले से अफगानिस्तान में मौजूद हैं। अमेरिकी 82वीं एयरबोर्न डिवीजन से 1,000 सैनिकों की एक बटालियन को कुवैत में उनकी मूल तैनाती के बजाय काबुल भेज दिया गया था। पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3 हजार अतिरिक्त सैनिकों को भेज रहे हैं। बाइडन ने कहा- अगर अफगान सेना अपने देश पर नियंत्रण बनाए नहीं रख सकती तो अमेरिकी सेना की उपस्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ता।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडन ने कहा कि उन्होंने लगभग 5,000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी है वो अफगानिस्तान से अमेरिकी कर्मियों और अन्य लोगों की सुरक्षित तरीके से वापसी सुनिश्चित करना चाहते हैं। अपनी मदद करने वाले लोगों के साथ अमेरिका अफगान नागरिकों और तालिबान के आगे बढ़ने के कारण जिन लोगों को विशेष रूप से खतरा है, उनकी निकासी सुनिश्चित करना चाहता है।
गौरतलब है कि बाइडन ने जुलाई में औपचारिक घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से वापस आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस पर खेद नहीं है और अब समय आ गया है कि अफगानिस्तान के लोग अपने लिए लड़ें। राष्ट्रपति ने 11 सितंबर से पहले अफगानिस्तान से अपने सभी बलों की वापसी संबंधी अपनी योजनाओं में किसी भी बदलाव से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों की मौजूदगी का नेतृत्व करने वाला चौथे राष्ट्रपति हैं। वह नहीं चाहते कि उनके बाद पांचवें राष्ट्रपति को भी युद्ध की कमान संभालनी पड़े। उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी की प्रक्रिया तेज करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह दूसरे देश के असैन्य संघर्ष के बीच अमेरिका की कभी समाप्त न होने वाली उपस्थिति को उचित नहीं ठहरा सकते।
उधर, बाइडन के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया। अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की संपूर्ण वापसी से पहले तालिबान देश पर हर ओर से कब्जा करता जा रहा है। राजधानी काबुल तेजी से अलग-थलग पड़ती जा रही है। रविवार सुबह तालिबान ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया। इस कारण काबुल देश के पूर्वी हिस्से से कट गया है। काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था।