आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस में पिछले 24 घंटे से खलबली मची हुई है। 23 मई को जबसे सेना ने वीडियो दिखाया कर पाकिस्तानी चौकियों को तबाह करने की बात बताई, तब से दोनों पार्टियों में जबरदस्त गहमागहमी है। दोनों पार्टियों के दिग्गज इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि क्या कह कर नरेंद्र मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया जाए कि वह भारतीय सैनिकों की शहादत पर कुछ नहीं करती। या फिर ये कि नरेंद्र मोदी की जुबान 56 इंच की है, छाती नहीं। पहले तो प्रवक्ताओं ने आपस में बैठक की, पर जब उन्हें कुछ नहीं सूझा तो वे मसला हाईकमान के आगे ले जाने के निर्णय पर पहुंचे। सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल और सोनिया गांधी को उन्होंने अपनी समस्या बताने का प्रयास किया, पर पहले पांच प्रयास नाकाम रहे। इसकी वजह यह थी कि केजरीवाल ”हिंदी मीडियम” देख रहे थे, जबकि सोनिया अपने बेटे राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने के पाठ पढ़ा रही थीं।
बड़ी मुश्किल से आप और कांग्रेस के प्रवक्ता अपने-अपने आला नेता से संपर्क साधने में कामयाब रहे। समस्या सुन केजरीवाल और सोनिया भी परेशान हो गए। एक सलाहकार ने तो सलाह दे डाली, क्यों न इस बार हम विरोधी बयान देने के बजाय सेना के काम की तारीफ करें। एक ने यह कह कर बात काट दी कि यह प्रकारांतर से सरकार की ही तारीफ होगी, क्योंकि सेना ने सरकार के कहने पर ही वीडियो जारी कि होगा। वरना, सेना ऐसे मामलों में कहां पड़ती है। वह तो देश की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है। वह वीडियो आदि जारी कर सबूत देने या प्रचार पाने के बारे में न तो सोचती है और न ही उसे इसकी जरूरत है। सेना पर किसी देशवासी को शक नहीं है। मीटिंग में बैठे सलाहकार की बात पर बाकी नेताओं ने हामी भरी। इसके बाद कुछ देर तक बैठक में चुप्पी छाई रही। फिर एक नेता ने कहा, ”वीडियो को फर्जी बता देते हैं, क्योंकि वीडियो में बहुत कम धुंआ उठता दिख रहा है।” इस सुझाव पर एक-दो को छोड़ सभी नेता असहमत दिखे। उन्होंने कहा- सेना द्वारा जारी वीडियो को फर्जी बताने पर जनता हमें ही लताड़ेगी। फिर किसी ने सलाह दी कि क्यों न केजरीवाल से संपर्क साधा जाए और संयुक्त रूप से सरकार पर निशाना साधा जाए। सलाह के पीछे दलील यह थी कि नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने में अरविंद केजरीवाल कहीं ज्यादा अनुभवी हैं। उन्होंने बहुत कम समय में मोदी पर बहुत ज्यादा और प्रभावी हमला बोला है। बहुमत से केजरीवाल से संपर्क साधने पर सहमति बनी। तय हुआ कि युवा नेता राहुल गांधी उनसे विचार करेंगे।
उधर, केजरीवाल को भी कोई दलील नहीं सूझ रही थी। उनके एक नेता ने सुुुुझाव दिया कि पर्यावरण के बहाने मोदी सरकार को घेरा जा सकता है। वीडियो में इतना धुआं दिख रहा है कि वह भारतीय सीमा में भी जरूर आया होगा और इससे हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। मोदी सरकार को पाकिस्तानी चौकियों पर हमले की ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे अपना पर्यावरण संबंधी नुकसान नहीं हो। केजरीवाल को यह सुझाव नहीं भाया। इसी बीच उनके पास कांग्रेस मुख्यालय से फोन आया। पहले तो वह खुश हुए, क्योंकि उनकी समस्या भी वही थी जो कांग्रेस की थी। पर, यह जान कर कि राहुल गांधी बात करेंगे, केजरीवाल कन्नी कटा गए। उन्हें लगा कि राहुल को समझाने से ज्यादा अच्छा है कि इस बार चुप ही रहा जाए और मोदी सरकार पर निशाना साधने का इरादा छोड़ दिया जाए। ऐसे में दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रवक्ताओं को यही समझाया कि वह आज के दिन मीडिया से बच कर रहें, कल किसी दूसरे मुद्दे को लेकर सरकार को घ्ेारा जाएगा।
(यह खबर आपको हंसने-हंसाने के लिए कोरी कल्पना के आधार पर लिखी गई है। इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। पंसद आए तो शेयर जरुर करें। )