आम का मौसम है। संयोग से इसी मौसम में आम चुनाव भी हो रहे हैं। यह मौसम आते ही मांगें पूरी करने का रहा-सहा वक्त भी काट देने का आम रिवाज है। सो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐसा ही कर रहे हैं। वह एक अदद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की विपक्ष की बरसों पुरानी मांग अब इस कार्यकाल का बचा हुआ थोड़ा सा वक्त काट कर पारंपरिक तरीके से नजरअंदाज कर देना चाहते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह सवालों से भाग रहे हैं। वह लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं। सवालों की बौछार झेल रहे हैं और जवाबों से सबका मन घायल कर दे रहे हैं।
चर्चित हुआ गैर राजनीतिक इंटरव्यू: असल में प्रधानमंत्री चुनावों के मौसम को इंटरव्यू के मौसम के रूप में भी देखते हैं। इसलिए चुनाव घोषित होते ही उन्होंने साक्षात्कार देने के लिए पत्रकारों का चयन शुरू किया और एक-एक कर इंटरव्यू देने लगे। ये सारे इंटरव्यू राजनीतिक थे। भले ही इनमें उनसे नवरात्रि में क्या आप वाकई कुछ नहीं खाते? या आपकी ऊर्जा का क्या राज है? टाइप सवाल पूछे गए हों। चूंकि ये इंटरव्यू पत्रकारों ने लिए और सवालों में कांग्रेस, बीजेपी जैसे शब्द इस्तेमाल कर लिए, इसलिए यह इंटरव्यू राजनीतिक की श्रेणी में रखा गया। लिहाजा पीएम ने सोचा कि एक गैर राजनीतिक इंटरव्यू दिया जाए। इसके लिए अक्षय कुमार को चुना गया। इस इंटरव्यू की भी खूब चर्चा हुई। ”राजनीतिक इंटरव्यू” से भी ज्यादा।
ऐसे आया आइडिया: अक्षय कुमार द्वारा लिए गए इंटरव्यू की अपार सफलता देख प्रधानमंत्री की छवि की चिंंता कर मोटी कमाई करने वाले पेशेवरों ने मैराथन बैठक की। वे चुनावी सभाएं कर नहीं सकते, तो चुनाव के मौसम में अक्सर बैठकें ही करते हैं। बैठक में यह आम सहमति उभरी कि राजनीतिक इंटरव्यू में अब कुछ नहीं रखा है। थोड़ी राजनीतिक समझ भी रखने वाले एक दिग्गज ने राय दी कि अब ऐसा कोई पत्रकार बचा भी नहीं, जिससे प्रधानमंत्री का राजनीतिक इंटरव्यू करवाया जा सके। इस पर मुख्य छवि सुधारक की आवाज गूंजी- व्हाट नेक्स्ट? पल भर के लिए कमरे में खामोशी छा गई। सभी व्हाट नेक्स्ट? का जवाब ढूंढ़ने में चिंंतनशील दिखने लगे। कुछ तो वाकई जवाब सोच रहे थे, कुछ ने सोच-विचार वाली भाव-भंगिमा बना रखी थी। इसी बीच, एक मुंह से दो शब्द निकले- व्यंग्यात्मक इंटरव्यू। जिन लोगों ने सोच-विचार वाली भंगिमा बना रखी थी, उन्होंने एक स्वर में कह दिया- हां। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा थी। सो प्रस्ताव बहुमत से पारित मान लिया गया और पीएमओ को भेज दिया गया।
पीएमओ में मंथन: पीएमओ को भी प्रस्ताव पसंद आया। सबसे बड़े साहब ने मान लिया कि उनके साहब को भी पसंद आएगा। सो, उन्होंने तत्काल कुछ व्यंग्यकारों के नाम ( जो इंटरव्यू लेने वाले के तौर पर पीएम को सुझाए जा सकें) और सवाल सोचने के लिए अफसरों की बैठक बुला ली। यूट्यूब पर ऐसे कॉमेडियन को ढूंढा जाने लगा जो अपनी कॉमेडी में पीएम के मन की बात कहते हों। काफी तलाश और माथापच्ची कर उन्होंने पांच नाम चुने और कुछ मनभावन सवालों के साथ फाइल ड्राफ्ट करवाई गई। फाइल प्रधानमंत्री के टेबल पर विचाराधीन है। कहते हैं वह ज्यादा समय तक किसी फाइल पर विचार नहीं करते। सो, उम्मीद है कि जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा और पीएम का एक अलग तरह का इंटरव्यू दुनिया को देखने को मिलेगा।