बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के पर‍िवार पर छाया राजनीतिक संकट खत्‍म हो गया है। उन्‍होंने बेटे तेजस्‍वी यादव की ड‍िप्‍टी सीएम की कुर्सी सुरक्ष‍ित करा ली है। उन्‍होंने नीतीश कुमार को मना ल‍िया है। बताया जा रहा है क‍ि दोनों के बीच पक्‍की डील हुई है। इस डील के तहत चार्जशीट दायर होने के बाद भी तेजस्‍वी को नहीं हटाया जाएगा। हां, अगर वह जेल ही चले जाएं, तभी उनकी कुर्सी खाली होगी। हालांक‍ि, उस स्‍थ‍िति में भी लालू अपनी पसंद के व्‍यक्‍त‍ि को वह कुर्सी द‍िलवा सकेंगे।

सूत्र बताते हैं क‍ि लालू के एक करीबी व्‍यक्‍त‍ि ने नीतीश से उनकी गुप्‍त मुलाकात करवाई और डील पक्‍की कराने में अहम भूम‍िका न‍िभाई। हालांक‍ि, डील कैसे संभव हुई इस बारे में ठोस रूप से कुछ पता नहीं चल पाया है।

लालू पर‍िवार के ख‍िलाफ मोर्चा खोल चुके व‍िपक्षी नेता तफशील मोदी को भी डील की खबर लग गई है। उन्‍होंने कहा है क‍ि वह जल्‍द ही डील के पीछे की डील का पता लगा कर प्रेस कॉनफ्रेंस करेंगे। उनका कहना है क‍ि शुरुआती जानकारी के मुताबिक डील वैसे ही हुई है जैसे लालू यादव रेल मंत्री रहते लोगों से क‍िया करते थे। यानी पुराना फार्मूला एक बार फि‍र काम आया है।

जदयू खेमे का कहना है कि ऐसी कोई डील नहीं हुई है। एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया क‍ि डील की बातें वैसे ही उड़ाई जा रही हैं, असल में अभी लालू को क‍िसी डील की जरूरत ही नहीं है। नीतीश कुमार इस स्‍थ‍िति में हैं ही नहीं क‍ि वह तेजस्‍वी को हटा सकें। जब नीतीश की मजबूरी के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्‍होंने कुछ भी कहने से इनकार कर द‍िया।

उधर, तेजस्‍वी न‍िश्‍च‍िंत हैं। वह पटना में अपने भांजे के साथ क्र‍िकेट खेलते द‍िखे गए। इसे लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म हो गया। कई लोग कह रहे हैं क‍ि उनके पि‍ता ने शरद पवार के जरिए कुछ गोटी सेट कराई है और ड‍िप्‍टी सीएम की कुर्सी जाने की स्‍थ‍ित‍ि में टीम इंड‍िया में तेजस्‍वी के ल‍िए जगह बनवाने की जुगत भ‍िड़ाई है।

बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव

इसी संभावना को देखते हुए मंगलवार को लालू ने जान-बूझ कर अपने नात‍ियों को तेजस्‍वी के पास भेजा और उनसे क्र‍िकेट खेलने की ज‍िद करवाई। पर तेजस्‍वी ने इसे तनावमुक्‍त होने की न‍िशानी के तौर पर प्रचार‍ित क‍िया। इन सबके बीच, नीतीश कुमार अभी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। बताया जा रहा है क‍ि वह अब बोलेंगे भी नहीं। पर पत्रकारों और भाजपा नेताओं ने अभी उम्‍मीद छोड़ी नहीं है।

(नोटः इस खबर का सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। यह खबर सिर्फ आपको हंसाने के लिए लिखी गई है।)