यूपी में पांचवे चरण का चुनाव आते-आते गधे चर्चा में आ गए। सीएम अखिलेश और पीएम मोदी द्वारा चुनावी रैलियों में गधों की बात किए जाने का असर दूर तलक होता दिख रहा है। दोनों नेताओं ने अपने इन बयानों से मुसीबत मोल ले ली है। चुनाव में गधों की चर्चा हो रही है, यह जान कर अखिल भारतीय गधा समिति का अध्यक्ष काफी खुश हुआ। उसने तुरंत जियो सिम का फायदा उठाने की सोची और ब्लॉक लेवल तक के अदना गधा कार्यकर्ताओं को भी फोन खड़का दिया। फरमान सुनाया- दिल्ली आओ। दिल्ली में अखिल भारतीय सम्मेलन कर रहे हैं। गधे खुश हुए। खुशी इस बात की नहीं थी कि उनकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। खुशी का कारण यह भाव था कि चलो मरने से पहले दिल्ली जाने का तो मौका मिल रहा है।
तय दिन पर गधों का सम्मेलन शुरू हुआ। सभी किसी न किसी को पकड़ कर दिल्ली यात्रा का अपना-अपना अनुभव सुनाने लगे। एक गधे ने बताया कि उसे लखनऊ की मेट्रो में नहीं चढ़ने दिया गया, क्योंकि उसका वोटर कार्ड नहीं बना था। हालांकि नाम ना लेने कि शर्त पर एक गधे ने जानकारी दी कि ये गधा कई बार सरकारी गाड़ियों के आगे खड़ा हो जाता था। जिसके कारण इस पर कई मुकदमे दर्ज हैं। यही कारण है कि अखिलेश सरकार ने इसे मेट्रो का मजा नहीं लेने दिया।सम्मेलन में आए सारे गधे इस सवाल का जवाब भी तलाशने की कोशिश में लगे रहे कि आखिर क्यों इतने साल बाद अध्यक्ष ने सम्मेलन बुलाने का फैसला किया है। तभी गधों का सरदार (अध्यक्ष) खड़ा हुआ और कहा कि चुनाव में पीएम और सीएम जैसी हस्तियां हमारा नाम ले रही हैं। हम समझ नहीं पा रहे कि यह हमारी तारीफ है या हमेशा की तरह हम पर ताने कसे जा रहे हैं। आप सबकी मदद से हम यही जानना चाह रहे हैं। एक गधा खड़ा हुआ। बोला- पहले यह तो बताइए कि चर्चा क्या हुई। सरदार ने तुरंत ताना मारा- देश भर में चर्चा है कि सीएम अखिलेश ने कहा है कि गुजरात के गधे का भी प्रचार किया जाता है। फिर भी तुम्हें खबर नहीं है। तभी तो गधे हो। सरकार की बात को उस गधे ने अपने सम्मान पर कड़ा हमला माना, पर वह अपमान का घूंट पीकर रह गया। उसने दूसरे तरीके से निशाना साधने की चाल चली। बोला- यूपी में तो वैसे ही हमारी हैसियत कुछ नहीं है। आजम खान की भैसें गुम हो जाएं तो यूपी पुलिस दिन-रात एक कर देती है और हमें मेट्रो की सवारी तक नहीं करने देती।
सरदार ने तुरंत असंतोष की भावना दबाने के मकसद से जवाब दिया- भाइयों, सरकार हमारी बात कर रही है जो इस बात का सबूत है कि हमारी ताकत बढ़ रही है। हमें भी वो अधिकार चाहिए जो हमसे कमतर जानवरों को भी मिले हुए हैं। पंडाल से आवाज आई- हां-हां, हमें भी सारे अधिकार चाहिए। इस पर एक ने कहा- क्यों न हम राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने की मांग उठाएं।
थोड़ा समझदार दिख रहे दूसरे गधे ने कहा- मांग तो सही है, पर अब उठाने से कोई फायदा नहीं होगा। अगले चुनाव का इंतजार करना होगा। आचार संहिता लागू होने से पहले मांग कड़ाई से उठानी होगी। इस पर सरदार बोले- देखो, यूपी में तो हमने बात आगे बढ़ाई है। अखिलेश यादव से मांग की है कि कम से कम यूपी में राज्यस्तरीय पशु का दर्जा तो दें। हम चाहें तो मालिक के परिवार का वोट लेने की ताकत रखते हैं। इस बात को समझते हुए यूपी के मुख्यमंत्री ने रैली में गधों का जिक्र करके अपना वादा निभाया था।
गधों के सरदार ने कहा कि अगर 2017 तक गधे को देश का राष्टीय पशु घोषित नहीं किया गया तो वो दिल्ली में धरना देंगे। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री भड़क गए और कहा कि ये काम हमारा है कोई दूसरा ऐसा नहीं कर सकता। इस पर गधों के सरदार ने कहा कि रायता फैलाने में और धरना देने में बहुत फर्क होता है। गधों की वोट ताकत को देखते हुए केजरीवाल चुप रह गए। गधों के सरदार ने कहा कि वो इसके बाद आरक्षण की भी मांग करेंगे।
https://www.youtube.com/watch?v=ytqNvO-BTd8
गधों के सरदार ने आगे बताया कि अखिलेश यादव के बयान के बाद केन्द्र सरकार ने भी हम पर ध्यान दिया है ये अच्छी बात है और हम इसका स्वागत करते हैं।
(यह खबर आपको हंसने-हंसाने के लिए कोरी कल्पना के आधार पर लिखी गई है। इसे सीरियसली नहीं लें।)