देश की सबसे बड़ी अदालत ने कुछ ही दिनों पहले दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर एक अहम फैसला दिया। इस फैसले के तहत इस दिन रात सिर्फ दो घंटे 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाए जा सकेंगे। साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि त्योहारों में कम प्रदूषण वाले ‘ग्रीन पटाखे’ ही बेचे और जलाए जाने चाहिए। लेकिन दिल्ली में कुछ कारोबारियों को समझ नहीं आ रहा है कि यह ‘ग्रीन पटाखे’ होते क्या हैं। सदर बाजार के एक पटाखा कारोबारी हरजीत सिंह छाबड़ा ने तो एक नया ही पटाखा बना दिया है।
जी हां, अगर आप सदर बाजार में इनकी दुकान पर जाएंगे तो आपको भिन्डी पटाखा, आलू बम, तोरी पटाखा, चकरी प्याज पटाखा, शिमला मिर्च पटाखा, असल अनार और फुलझड़ी की जगह मूलीझड़ी जैसे पटाखे मिल जाएंगे। दरअसल कारोबारी यह समझ ही नहीं पाए कि ‘ग्रीन पटाखा’ होता क्या है लिहाजा उन्होंने हरी सब्जियों के अंदर पटाखे डालकर उसे बेचना शुरू कर दिया है। अपने हिसाब से ‘ग्रीन पटाखों’ की परिभाषा समझाते हुए कारोबारी कहते हैं कि हमने हरी सब्जियों को ही ‘ग्रीन पटाखे’ की शक्ल दी है। इनका यह भी कहना है कि ऐसे पटाखों से प्रदूषण भी कम होगा और इससे लोगों को नुकसान भी कम होगा। उनके दुकान पर आने वाले ग्राहक भी सब्जियों से बने इस पटाखों को देखकर हैरान हैं।
क्या होते हैं ‘ग्रीन पटाखे’?
‘ग्रीन पटाखे’ दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं। लेकिन इससे प्रदूषण कम होता है। जानकारी के मुताबिक इन पटाखों को जलाने पर इनमें से 40-50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा होते हैं। ‘ग्रीन पटाखों’ के बारे में कहा जाता है कि इसके जलने से पानी बनेगा और हानिकारक गैस उसमें घुल जाएगी। ‘ग्रीन पटाखों’ में ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का उपयोग होता है जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन कम मात्रा में पैदा होते हैं। इस पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है। इन पटाखों को जलाने से खुश्बू भी निकलती है।
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