अंक 13 जिसे ज्यादातर लोग अशुभ मानते हैं। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह एक अंधविश्वाश है क्योंकि इसके पीछे कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण देखने को नहीं मिलते। लेकिन मनोविज्ञान में लोगों के अंक 13 के डर को थर्टीन डिजिट फोबिया या ट्रिस्काइडेकाफोबिया कहा गया है। लोगों का इस नंबर को लेकर इतना डर देखने को मिलता है कि कई होटलों में तो इस नंबर के रूम तक नहीं होते। इसी तरह भारत के चंडीगढ़ शहर में 13 नंबर का सेक्टर ही नहीं है। विदेशों में तो लोग शुक्रवार को पड़ने वाली 13 तारीख को अपने घरों से ही नहीं निकलते। कई ईमारतों में भी 13 नंबर की मंजिल ही नहीं होती है। क्यों इस नंबर को माना जाता है इतना अशुभ जानते हैं…
– 13 अंक को अशुभ मानने के पीछे एक धार्मिक कारण यह है कि ईसा मसीह के रात्रि भोजन के समय एक व्यक्ति ने उनसे विश्वासघात किया था। जो 13 नंबर की कुर्सी पर बैठा था। इसलिए विदेशों में 13 कुर्सियों का होना भी अच्छा नहीं माना जाता है।
– कुछ विद्वानों के अनुसार 13 नंबर को अंक ज्योतिष के हिसाब से भी शुभ नहीं माना जाता है। क्योंकि 12 नंबर को पूर्णता का प्रतीक माना गया है। और इस नंबर में एक और नंबर का जुड़ना दुर्भाग्य का प्रतीक होता है।
– कुछ जगह इस नंबर को मृत्यु का नंबर माना गया है लेकिन कुछ जगह इस नंबर को भगवान से जोड़ कर देखा जाता है। ब्राजील में कोपेरस धर्म को मानने वाले लोग इस नंबर को भगवान का अंक मानते हैं।
– ज्योतिष शास्त्र में 13 अंक राहु का अंक है। जो कि एक बुरा ग्रह माना जाता है।
[bc_video video_id=”5971988705001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
– क्योंकि 12 नंबर को एक प्रेफक्ट नंबर माना गया है और प्राचीन सभ्यताओं में भी नंबर 12 के साथ कई गणितिज्ञ व्यवस्था बनाई गई है। जैसे कि कैलेंडर में 12 महीने और दिन का भी 12-12 घंटों में बटा होना और इस प्रफेक्ट अंक के पास होने के बावजूद भी नंबर 13 एक अविभाज्य अंक है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि कम उपयोगिता के कारण इसे धीरे-धीरे अशुभ माना जाने लगा।
– माना जाता है कि इस अंक को अशुभ मानने की बात कोड ऑफ हम्मूराबी से शुरु हुई। कोड ऑफ हम्मूराबी बेबीलोन की सभ्यता में बनाए गए कानूनों का दस्तावेज है। जिसमें 13 नंबर का नियम शामिल नहीं किया गया था। जिससे लोग इस नंबर को अशुभ मानने लगे। हालांकि कुछ इतिहासकार इस बात को नकारते हैं उनके अनुसार आधुनिक भाषाओं में इस दस्तावेज का अनुवाद करते हुए गलती से यह अंक छूट गया था।