शंख बजाकर शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है। शंख को विजय, कीर्ति,समृद्धि, सुख, यश तथा लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यह समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुआ था। इसे माता लक्ष्मी का भाई कहा जाता है। हिंदू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका कारण ये है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने अपने हाथों में शंख को धारण किया हुआ है। लोगों में धारणा है कि जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है। शंख वास्तु दोषों को भी दूर करता है। जिन घरों में नियमित रुप से शंख ध्वनि होती है वहां कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।

दक्षिणावर्ती शंख – यह शंख भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के हाथों में सुशोभित होता है। इसका मुख दाहिनी ओर खुलता है। इस शंख को पांच जन्य शंख भी कहा जाता है। दक्षिणावर्ती शंख के अग्र भाग में गंगा, मध्य भाग में वरुण और इसके पृष्ठ भाग में ब्रह्मा का वास होता है। व्यापार में वृद्धि और जमा पैसे की बढ़ोत्तरी के लिए इस शंख को शुभ माना जाता है। यह शंख दो प्रकार को होता है। नर और मादा। श्रीसूक्तम का पाठ करने से शंख की शक्तियां बढ़ जाती है। जिन जातकों की दाहिना हथेली के मध्य में दक्षिणावर्ती शंख होता है उन्हें पैसों की तंगी नहीं होती है।

मध्यावर्ती शंख – इस शंख को विजय शंख भी कहा जाता है। यह शंख युधिष्ठिर के पास था। यह बहुत ही दुर्लभ शंख होता है। इस शंख का मुख मध्य में खुलता है। घर के मंदिर में मध्यावर्ती शंख स्थापित करने से अष्टसिद्धियों, नवनिधियों का वास होता है। इसकी कुमकुमंम, अक्षत व गुलाब के पुष्प से शंख की आराधना करें।

वामावर्ती शंख – यह शंख हमेशा बाएं हाथ में पकड़ा जाता है। इसका मुख बायीं ओर खुलता है। यह शंख देव स्वरुप माना जाता है। इस शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी।

गणेश शंख – इस शंख की स्थापना घर के ब्रह्य स्थान पर करें। इससे जीवन में आ रही समस्याएं कम हो जाती है। यह गणपति की आकृति का होता है जिसमें गणेश की शक्तियां समाहित होती है।

अन्नपूर्णा शंख – इसकी स्थापना रसोईघर में की जाती है। नवरात्रि, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग में शंख की स्थापना करें। लाल गाय का दूध इस शंख में भरकर घर में छिड़कने से वास्तुदोष खत्म हो जाते हैं।

कामधेनु शंख – वाणी की शक्ति को प्रबल करने के लिए कामधेनु शंख का दर्शन करना और उसकी पूजा लाभकारी होती है। इस शंख को देवी के चरणों में या गौशाला में स्थापित करना चाहिए। ऋग्वेद के अनुसार कामधेनु शंख में 33 देवताओं की शक्तियां समाहित होती है। जीवनकाल के अंत समय में इस शंख के दर्शन या दान से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मोती शंख – इस शंख के पूजन से ह्रदय रोग, पेट, पथरी के रोग, नजर दोष से मुक्ति की प्राप्ति होती है। आयुर्वेद में मोती शंख का विशेष महत्व हैं। छोटे बच्चों को मोती शंख की माला पहनाने या उसमें पानी डालकर पिलाने से कुशाग्र बुद्धि की प्राप्ति होती है।

एरावत शंख – इस शंख की स्थापना घर के मेन गेट पर करनी चाहिए। 24 से 28 घंटे तक शंख में पानी भरकर पीने से चेहरा दमक उठता है। इस शंख पर दो हरे रंग की रेखाएं होती है।

विष्णु शंख – कार्यस्थल पर विष्णु शंख की स्थापना करने से लाभ की प्राप्ति और विवाह की अड़चने दूर होती है। इसमें दुर्गा, गणेश, विष्णु, रुद्र की शक्तियां समाहित होती है।

पौंड्र शंख – इस शंख का पूजन स्टूडेंट्स के लिए लाभकारी होता है। इस शंख को स्टडी रूम में पूर्व दिशा में स्थापित करें, आत्मबल बढ़ेगा।

सूर्य शंख – इस शंख के दर्शन और पूजन से नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। यह शंख सफेद रंग का होता है जिसमें चमकदार लाल किरणें निकलती हैं। पितृदोष निवारण के लिए सूर्य शंख का पूजन अत्यंत लाभकारी होता है।

देवदत्त शंख – महाभारत के अनुसार अर्जुन ने देवदत्त शंख बजाया था। इसके पूजन से दीर्घायु मिलती है और शत्रुओं पर विजय मिलती है।