‘मैं देह स्वरूप नहीं हूं, मैं आत्मा स्वरूप हूं, मुझे देह मानने की भूल न करो।’ सत्य साईं बाबा अकसर अपने प्रवचनों में ये कहा करते थे। वह अपने आप को शिरडी के साईं बाबा का अवतार बताते थे। उन्होंने अपनी एक भविष्यवाणी में अपने अगले अवतार प्रेमा साईं के जन्म का साल भी बता दिया था। उनके अनुसार सन् 2024 में उनके इस अवतार का जन्म होगा। सत्य साईं बाबा में आस्था रखने वाले लोग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मौजूद हैं। उनके भक्तों में से एक भक्त क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हैं। सचिन उनके इतने बड़े भक्त हैं कि उनकी मृत्यु पर सचिन को इतना दुख हुआ था कि उन्होंने उस साल अपना जन्मदिन भी नहीं मनाया। सत्य साईं बाबा की मृत्यु साल 2011 में 24 अप्रैल को हुई थी और 24 अप्रैल को ही सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन भी होता है।
सत्य साईं बाबा के ‘चमत्कार’: सत्य साईं बाबा के भक्तों की मानें तो वो एक चमत्कारिक पुरुष थे। उनके ‘चमत्कार’ काफी चर्चा में भी रहे हैं। कुछ लोग इन्हें सच मानते थे तो कुछ लोगों का मानना था कि सत्य साईं सिर्फ हाथ की सफाई करते थे। जैसे भक्तों पर हवा से भभूति बरसाना, हाथों में सोने की चेन या अंगूठी का अचानक आ जाना, शिवरात्रि पर सोने का शिवलिंग अपने मुंह से निकालना आदि ऐसे काम थे जिसे उनके भक्त चमत्कार बताते थे। इसी तरह के ‘चमत्कारों’ से उनके भक्तों के मन में श्रद्धा-विश्वास और गहराता चला गया। कहा जाता है कि सत्य साईं बाबा के जन्म के समय घर में रखे वाद्ययंत्र अपने आप ही बजने लगे थे। सत्य साईं बाबा की माता ने इनके जन्म से पहले सत्यनारायण पूजा का प्रसाद खाया था जिस कारण इनका नाम ‘सत्यनारायण राजू’ रखा।
सत्य साईं बाबा से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां:
– कहा जाता है जब सत्य साईं हाई स्कूल में पढ़ रहे थे तब उन्हें एक बिच्छू ने काट लिया था जिससे वे कोमा में चले गए। और जब उन्हें होश आया तब उनका आचरण अजीब सा हो गया था। उन्होंने खाना-पीना त्यागकर श्लोक और मंत्रों का उच्चारण करना शुरु कर दिया था।
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– एक ओर कहानी जो इनके स्कूल समय से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक दिन उनके टीचर ने उन्हें बिना किसी कारण बेंच पर खड़ा कर दिया था। वह टीचर की बात मानकर चुपचाप घंटों बेंच पर खड़े भी रहे और जब क्लास खत्म हुई तब उनके टीचर जैसे ही अपनी कुर्सी से उठने लगे तो वह नहीं खड़े हो पाए। माना जाता है कि ऐसा सत्य साईं बाबा के ‘चमत्कार’ के कारण हुआ।
– कहा जाता है कि कुछ लोग सत्य साईं की कुटिया में पहुंचे और उनसे ये साबित करने को कहा कि तुम साईं के सबसे बड़े भक्त हो। तब सत्य साईं ने फूल मंगाए और उन्हें जमीन पर बिखेर दिया। उन फूलों से अपने आप तेलुगु में लिख गया ‘साईं’।