लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के वोट डालने के लिए प्रधानमंत्री मोदी गुजरात पहुंचे थे। जिस दौरान उन्होंने अपनी माता हीराबेन से मुलाकात की। मां ने आशीर्वाद स्वरूप अपने बेटे को पावागढ़ माता की चुनरी दी। पावागढ़ का यह शक्तिपीठ माता के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां माता सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था जिस कारण इस जगह का नाम पावागढ़ पड़ा। जानते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें…
– माता का यह मंदिर गुजरात के वडोदरा शहर से 50 किलोमीटर दूर पावागढ़ पहाड़ी के शिखर पर है। यहां दक्षिण मुखी काली मां की मूर्ति है, जहां तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है।
– माता के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 250 सीढ़िया पार करनी पड़ती है। हालांकि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए रोप वे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
– ऐसी मान्यता है कि यहां गुरु विश्वामित्र ने माता काली की तपस्या करने के साथ उनकी मूर्ति भी स्थापित की थी। यहां शत्रुओं पर विजय पाने के लिए खास पूजा करने का भी प्रावधान है।
– पावागढ़ के इस शक्तिपीठ पर हर साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां विश्वामित्री नदी है जिसके आस-पास का नजारा काफी खूबसूरत है।
– कहा जाता है कि माता का यह मंदिर भगवान राम के समय से मौजूद है। यहां लव और कुश सहित कई ऋषि मुनियों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।
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– माता के 51 शक्तिपीठों में से एक पावागढ़ शक्तिपीठ जिसे लेकर पौराणिक कथा है कि जब माता अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंची थी तब पिता द्वारा उनके पति का अपमान होने के कारण उन्होंने यज्ञ में अपनी आहुति दे दी थी। जिसे देख भगवान शिव क्रोध में आ गए और उन्होंने दक्ष का सिर काट डाला। इसके बाद भगवान शिव सती के जलते शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड पर भटकते रहे। इस दौरान माता सती के शरीर का जो हिस्सा जिस जगह पर गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बनते गए और उनमें से माता के दाहिने पैर का अंगूठा जिस जगह गिरा उसका नाम पावागढ़ हुआ।